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दक्षिण कश्मीर में हो रही सबसे ज्यादा आतंकियों की भर्ती, लश्कर से जुड़ रहे युवा

एक ओर ऑपरेशन ऑल आउट में जहां आतंकी कमांडरों को निशाना बना कर उनको ढेर किया जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ सुरक्षा बल आतंक के रास्ते पर जाने वाले कश्मीर के युवाओं को भी रोकने का काम कर रहे हैं.

दक्षिण कश्मीर में हो रही सबसे ज्यादा आतंकियों की भर्ती ( सांकेतिक फोटो) दक्षिण कश्मीर में हो रही सबसे ज्यादा आतंकियों की भर्ती ( सांकेतिक फोटो)
जितेंद्र बहादुर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 28 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 10:33 AM IST
  • दक्षिण कश्मीर में हो रही सबसे ज्यादा आतंकियों की भर्ती
  • लश्कर से जुड़ रहे कई युवा
  • लॉन्च पैड पर आतंकियों की संख्या, घुसपैठ न के बराबर

पाकिस्तान परस्त आतंकवाद जम्मू कश्मीर में इस समय भी फल- फ़ूल रहा है.सुरक्षा एजेंसियां लगातार आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन ऑल आउट चला रही हैं, सीमा पार से आतंकी घुसपैठ कराने में नाकाम हैं. यही वजह है कि अब जम्मू कश्मीर में आतंकी भर्ती करने में आतंक के आका जुटे हुए हैं.

खुफिया एजेंसियों की जो रिपोर्ट आजतक के हाथ लगी है उसके मुताबिक इस साल जनवरी से जून 2021 तक दक्षिणी कश्मीर में 82 प्रतिशत भटके हुए युवाओं ने आतंक की राह पकड़ी है जबकि उत्तरी कश्मीर और सेंट्रल कश्मीर में 9 प्रतिशत भटके युवाओं ने आतंक की राह पकड़ी है. सूत्रों के मुताबिक इसमें से सबसे ज्यादा युवाओं ने लश्कर ए तैयबा का रुख किया है.खुफिया सूत्रों के मुताबिक इन 6 महीनों में सबसे ज्यादा 49 प्रतिशत भटके हुए युवाओं ने लश्कर जैसे खतरनाक आतंकी संगठन को चुना है.

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जानकारी मिली है कि जून 2021 तक कुल 57 भटके लोगों ने जम्मू कश्मीर में आतंक की राह पकड़ी है जिसमें लश्कर में 28 आतंकी, हिजबुल मुजाहिदीन में 13 आतंकी, अल-बदर में 11 और जैश में 3 आतंकी शामिल हुए.

युवाओं को आतंक की राह पर जाने से रोकना चुनौती

एक ओर ऑपरेशन ऑल आउट में जहां आतंकी कमांडरों को निशाना बना कर उनको ढेर किया जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ सुरक्षा बल आतंक के रस्ते पर जाने वाले कश्मीर के युवाओं को भी रोकने का काम कर रहे हैं. सूत्रों की मानें तो 20 जुलाई को ही अनंतनाग पुलिस ने 13 ऐसे भटके हुए युवाओं को बचाया जो आतंक की राह पकड़ने वाले थे. सुरक्षा बलों की इसी दोहरी रणनीति का नतीजा है कि अब आतंकी कश्मीर में अपनी ज़मीन खोते जा रहे हैं. वहीं क्योंकि सरहद पार से कोई आतंकी कश्मीर में नहीं घुस पा रहा है, ऐसे में उन युवाओं को बचाना आसान हो रहा है. 

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सूत्रों के मुताबिक नॉर्थ कश्मीर में इस रणनीति के चलते अब चार में से तीन जिले लगभग आतंक मुक्त हो चुके हैं और अब सुरक्षा बलों के निशाने पर दक्षिण कश्मीर के चार जिले-अनंतनाग,कुलगाम, शोपियां और पुलवामा हैं जहां अभी भी कुछ आतंकी कमांडर बचते हुए भाग रहे हैं.

लॉन्च पैड पर आतंकियों की संख्या, घुसपैठ न के बराबर

पाकिस्तान परस्त ISI लॉन्च पैड पर आतंकियों की संख्या लगातार बढ़ाता और घटाता रहता है. मौसम के मुताबिक वह लांच पैड पर आतंकियों की संख्या बढ़ाता और घटाता है. सूत्रों ने आज तक को जानकारी दी है कि जून के महीने में लांच पैड पर करीब 150 आतंकी सीमा के उस पार मौजूद थे जिसमें अगर घाटी वाले इलाके को देखा जाए तो वहां पर 72 आतंकी लॉन्च पैड पर मौजूद थे तो जम्मू वाले इलाके में 78 आतंकवादियों की संख्या का अनुमान लगाया जा रहा है.

सूत्र बताते हैं कि इसके पिछले महीने सिर्फ 94 आतंकी लांच पैड पर मौजूद थे यानी आतंकियों की भारी कमी लांच पैड पर देखी गई थी. वहीं सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों की मानें तो पिछले साल जून के महीने में यानी जून 2020 में सीमा के उस पार लांच पैड पर करीब 400 आतंकी इस वक्त मौजूद थे जिसमें लश्कर जैश और अल बदर के आतंकियों की सबसे ज्यादा संख्या रही. इन सब आंकड़ों से यह साफ हो रहा है कि आतंकियों की संख्या लांच पैड पर भले ही कम हो रही है लेकिन पाकिस्तान अपनी फितरत से बाज नहीं आ रहा है, वह हथियार और गोला बारूद भेजने के लिए अब ड्रोन का भी भारी संख्या में इस्तेमाल करने में जुटा हुआ है.

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इस साल अब तक 88 से ज्यादा आतंकी ढेर

इस साल अब तक जम्मू-कश्मीर में कुल 88 से ज़्यादा आतंकियों को ढेर किया जा चुका है और इनमें से 36 यानी कि करीब 45 फीसदी को जून-जुलाई माह में हुए 16 एनकाउंटरों में ढेर किया गया है. जुलाई माह में सबसे ज्यादा आतंकी गतिविधियां देखी गईं. सूत्रों के मुताबिक अकेले जुलाई माह के 20 दिनों में ही 10 एनकाउंटर हुए हैं, जिनमें कुल 20 आतंकवादियों को ढेर कर दिया गया है. इन 20 में चार आतंकी पाकिस्तान के थे. सुरक्षा एजेंसियां लगातार ऑपरेशन ऑल आउट चला रही हैं. हर दिन आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. आतंकी जब भी आतंक की गतिविधि करते पाए जाते हैं, उनको वहीं पर ढेर कर दिया जाता है.

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