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नाबालिग से दुष्कर्म का आरोप, लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष बर्खास्त

लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष पर नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगा था. मामला दर्ज होने के बाद उन्हें लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर दिया गया है. मामला दर्ज होने के बाद सेंट्रल वर्किंग कमेटी की आपात बैठक बुलाकर यह फैसला लिया गया.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
अशरफ वानी
  • श्रीनगर,
  • 02 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 9:13 PM IST

लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष सेवांग थिनलेस पर नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगा था. उन पर मामला दर्ज होने के बाद उन्हें लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर दिया गया है. बताया जा रहा है कि नाबालिग लड़की ने महिला थाना में सेवांग के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. सेवांग पर प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस (POSCO)एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था.

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मामला दर्ज होने के बाद बौद्ध समाज में रोष था. इसके बाद लद्दाख बुद्धिस्ट ऐसोसिएशन की सेंट्रल वर्किंग कमेटी ने  मंगलवार को आपात बैठक बुलाई. बैठक में सभी सदस्यों ने एक मत से इस घटना की निंदा की. सदस्यों ने एक मत से फैसला लिया कि लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष पद से सेवांग को बर्खास्त किया जाए. साथ ही उनकी जनरल काउंसिल की सदस्यता भी खत्म कर दी गई है. लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन ने सेवांग को बर्खास्त करने के बाद उनसे दूरी बना ली है.

सेंट्रल वर्किंग कमेटी की बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट पीटी कुंजांग को अध्यक्ष बनाया जाए. ये तब तक अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे जब तक वर्तमान अध्यक्ष यानी सेवांग का कार्यकाल था. इस पूरे मामले में सेंट्रल वर्किंग कमेटी ने निष्पक्ष जांच की मांग की है.

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कब बनी लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन

जम्मू-कश्मीर के लद्दाख में बुद्धिस्ट एसोसिएशन एक संगठन है जो बुद्ध समुदाय के लोगों के हित में काम करता है. इसका गठन 1933 में किया गया था. इसके गठन का मकसद बौद्ध समुदाय के लोगों के हितों में काम करना और सामाजिक सुधार करना था. साथ ही यह एसोसिएशन लद्दाख में बौद्ध समुदाय के लोगों की परंपरा, संस्कृति और भाषा के विकास के लिए काम करती रही है.

एसोसिएशन की यूथ विंग, महिला विंग भी है. ये विंग गांवों की स्थानीय समस्याएं उठाती है. इनके सदस्य गांव के प्रधान के साथ संपर्क में रहकर काम करते हैं. वर्ष 1989 में बौद्ध समुदाय और मुस्लिम समुदाय के बीच हिंसा हुई थी. इसके बाद एसोसिएशन ने मुस्लिम समुदाय का आर्थिक और सामाजिक बहिष्कार कर दिया था. यह बहिष्कार 1992 में खत्म कर दिया गया.

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