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महबूबा मुफ्ती का PAK प्रेम छलका, कहा- क्रॉस LoC ट्रेड बंद करने की इजाजत नहीं

मुफ्ती ने कश्मीर और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के बीच व्यापार बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा कि जम्मू एवं कश्मीर के मसले को दबाया नहीं जा सकता है.

जम्मू एवं कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती जम्मू एवं कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती
अशरफ वानी
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  • 29 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 4:57 PM IST

जम्मू एवं कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने क्रॉस LoC ट्रेड को बंद करने का कड़ा विरोध किया है. शनिवार को श्रीनगर में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मुफ्ती का पाकिस्तान प्रेम भी छलका. उन्होंने कहा, 'मैं केंद्र सरकार से अपील करती हूं कि वह लाहौर घोषणा को दोबारा से लागू करे, ताकि हम जम्मू एवं कश्मीर में शांतिपूर्वक रह सकें.' दरअसल, हुर्रियत नेताओं के खिलाफ  पाकिस्तान आतंकी फंडिंग की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से क्रॉस LoC ट्रेड बंद करने की सिफारिश की है, जिसका मुफ्ती विरोध कर रही हैं.

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पाकिस्तान आतंकी फंडिंग को लेकर NIA अब आठ हुर्रियत नेताओं को गिरफ्तार कर चुकी है. इसके अलावा कुछ और नेताओं की गिरफ्तारी आने वाले दिनों में हो सकती है. महबूबा हुर्रियत नेताओं की गिरफ्तारी को लेकर नाखुश नजर आईं. उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ साजिश चल रही है. मुफ्ती ने कश्मीर और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के बीच व्यापार बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा कि जम्मू एवं कश्मीर के मसले को दबाया नहीं जा सकता है. इस बाबत हर सोच रखने वालों के साथ बातचीत जरूरी है. केंद्र सरकार को अटल बिहारी वाजपेयी के पथ का अनुशरण करना चाहिए.

मुफ्ती ने कहा कि विचारधाराओं को कैद नहीं किया जा सकता है. सीएम मुफ्ती ने कहा कि PoK के लोगों को अपने बच्चों को पढ़ने के लिए कश्मीर भेजना चाहिए. दोनों ओर से व्यापार बढ़ाने के साथ ही यात्रा को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए. मुफ्ती ने कश्मीर और PoK के विधानसभा सत्र को एक साथ बुलाने का भी सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि कश्मीर और PoK के विधायकों की एक साथ बैठक होनी चाहिए. साथ ही कहा कि क्रॉस LoC ट्रेड को बंद करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है. उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच बेहतर रिश्ते बनाने की भी वकालत की.

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एनआईए की कार्रवाई के बाद मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की लोकप्रियता जिस तरह से जम्मू कश्मीर में कम हो रही है और घाटी के हालात की बेहतरी के लिए सभी प्रयास विफल हो रहे हैं, उससे उनको यही लग रहा है कि उनको अपनी पार्टी के उसी सेट एंड पर वापस आना होगा, जिसको लेकर उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव जीती थी और अपना जनाधार बढ़ाया था. इसमें कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के साथ नरमी और पाकिस्तान के साथ दोस्ताना रिश्ते की वकालत शामिल थी.

 

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