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कश्मीर मुद्दे पर हुई सर्वदलीय बैठक, जितेंद्र सिंह बोले- देश की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेंगे

कश्मीर को लेकर बुधवार को दिल्ली में ऑल पार्टी मीटिंग हुई, लेकिन इस बैठक में कोई ठोस नतीजा नहीं निकला. गृह मंत्रालय ने बैठक में ऑल पार्टी डेलीगेशन में शामिल नेताओं के सुझावों को लेकर एक प्रेजेंटेशन भी दिया.

दिल्ली में हुई सर्वदलीय बैठक दिल्ली में हुई सर्वदलीय बैठक
रोहित गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 07 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 8:10 PM IST

कश्मीर को लेकर बुधवार को दिल्ली में ऑल पार्टी मीटिंग हुई, लेकिन इस बैठक में कोई ठोस नतीजा नहीं निकला. गृह मंत्रालय ने बैठक में ऑल पार्टी डेलीगेशन में शामिल नेताओं के सुझावों को लेकर एक प्रेजेंटेशन भी दिया.

सैनिकों की संख्या कम करने का सुझाव
गृह मंत्रालय की प्रेजेंटशन में कश्मीर के वर्तमान हालात को लेकर अलग-अलग पार्टियों का नजरिया बताया गया. इसमें सिविलयन एरिया में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफ्स्पा) की समीक्षा भी बात उठी और कुछ पार्टियों ने कश्मीर में अर्धसैनिक बलों और सैनिकों की संख्या घटाने का सुझाव दिया. कुछ पार्टियों का ये भी मानना है कि महबूबा मुफ्ती की कश्मीर हिंसा से निपटने में नाकाम रही.

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हम सभी पक्षों से बात करने को तैयार: जितेंद्र सिंह
प्रधानमंत्री कार्यालय में मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि बैठक में इस बात पर सभी पार्टियों ने सहमति जताई की सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं होगा. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय संप्रभुता पर कोई समझौता नहीं होगा. सभी पार्टियों ने लोगों से ये अपील भी की है कि वो हिंसा के रास्ते पर न चले. जितेंद्र सिंह ने कहा कि हम सभी पक्षों से बात करने को तैयार हैं.

ऑल पार्टी मीटिंग से पहले घाटी को लेकर आगे की रणनीति पर चर्चा करने के लिए राजनाथ सिंह आर्मी चीफ दलबीर सिंह से भी मिले.

अलगाववादियों के खिलाफ सख्त हुई सरकार
इससे पहले केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की सभी सुविधाएं वापस लिए जाने के मुद्दे पर कहा है कि आतंकियों और अलगाववादियों को एक ही चश्मे से देखने की जरूरत है. उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज होना चाहिए. मोदी सरकार अलगाववादियों के खिलाफ सख्ती दिखाने के मूड में दिख रही है.

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घाटी में दो महीने में मारे गए 74 लोग
दो महीने से घाटी में कायम अशांति के दौरान कम से कम 74 लोग मारे जा चुके हैं और करीब 12,00 लोग घायल हुए हैं. घाटी में इस तरह की हिंसा इससे पहले 2010 में हुई थी. तब 120 लोग पुलिस और अर्धसैनिक बलों की गोलियों से मारे गए थे.

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