
जम्मू-कश्मीर में 27 जुलाई यानी गुरुवार को 34 साल बाद मुहर्रम का जुलूस निकाला गया. प्रशासन ने गुरुवार को आठवें दिन के मुहर्रम जुलूस को गुरुबाजार से डलगेट तक पारंपरिक मार्ग से गुजरने की अनुमति दी गई. अधिकारियों के मुताबिक जुलूस में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा में शामिल हुए. उन्होंने बताया कि उपराज्यपाल सिन्हा कड़ी सुरक्षा के बीच शहर के अंदरूनी इलाके डाउनटाउन के जदीबल इलाके में बोटा कदल में जुलूस में शामिल हुए. अधिकारियों ने बताया कि पुलिस और नागरिक प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपराज्यपाल के साथ थे.
उपराज्यपाल सिन्हा ने ट्वीट कर कहा कि आज यौम-ए-आशूरा पर श्रीनगर के डाउनटाउन बोताकादल में ज़ुलजिना जुलूस में शामिल हुआ और हज़रत इमाम हुसैन (एएस) और उनके साथियों के बलिदान को नमन. धार्मिकता और मानव जाति की भलाई के लिए उनका बलिदान दुनिया के लिए एक प्रकाश स्तंभ की तरह है. सिन्हा ने लोगों से हजरत इमाम हुसैन के आदर्शों को अपनाने, सभी की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए एकजुट होकर काम करने का आग्रह किया.
उन्होंने कहा कि सच्चाई, न्याय और समानता के मूल्यों को बनाए रखने के लिए कर्बला में हजरत इमाम हुसैन (एएस) और उनके साथियों के बलिदान को याद कर रहा हूं, जो पूरी मानवता को धर्म के मार्ग पर चलने के लिए मार्गदर्शन कर रहा है.
कश्मीर के ADGP विजय कुमार ने कहा कि आशूरा जुलूस से पहले सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. उन्होंने कहा कि अन्य दिनों की तुलना में काफी बेहतर सुरक्षा इंतजाम हैं और हम तीन लेवल पर सिक्योरिटी प्रदान कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जहां सेनाओं ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा की तस्वीर बदलने में मदद की है, वहीं क्षेत्र में शांति बनाए रखने का बड़ा श्रेय लोगों को जाता है.
इस बीच नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि ईमान हुसैन और उनके साथियों द्वारा दिए गए बलिदान ने इस्लाम और मानवता को जीवित रखा है. आज पूरी दुनिया 1,400 साल पहले दिए गए बलिदानों को याद करती है. यह हमारे लिए एक सबक है कि अल्लाह का रास्ता ही एकमात्र सही रास्ता है. अब्दुल्ला ने कहा कि दुनिया में कोई भी इस्लामिक देश नहीं बचा है, जो समस्याओं से घिरा न हो क्योंकि हमने अल्लाह का रास्ता छोड़ दिया और शैतान का रास्ता अपना लिया. उन्होंने कहा, जब तक हम ईश्वर के मार्ग पर दोबारा नहीं चलेंगे, हम समृद्ध नहीं हो सकते.