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पुलवामा में भाईचारे की अनूठी तस्वीर, मुस्लिमों ने बुजुर्ग कश्मीरी पंडित महिला का किया अंतिम संस्कार

पुलवामा में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल देखने को मिली. यहां मुस्लिम समुदाय के लोगों ने एक बुजुर्ग कश्मीरी पंडित महिला का पूरे रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया. सैकड़ों की संख्या में लोग महिला के अंतिम संस्कार में शामिल होकर दुआएं मांगी.

पुलवामा में कश्मीरी पंडित का जनाजा लेते जाते हुए मुस्लिम समुदाय (फाइल फोटो) पुलवामा में कश्मीरी पंडित का जनाजा लेते जाते हुए मुस्लिम समुदाय (फाइल फोटो)
अशरफ वानी
  • पुलवामा,
  • 07 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 8:48 PM IST

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के पिंगलेना गांव से एक ऐसी तस्वीर सामने आई, जिसमें नई कश्मीर की झलक देखने को मिले. पिंगलेना में एक बुजुर्ग कश्मीरी पंडित महिला का स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अंतिम संस्कार किया. इस दौरान हिंदू रीति रिवाजों का विशेष ध्यान रखा गया.  

बुजुर्ग कश्मीरी पंडित महिला 'रानी' का अंतिम संस्कार कर पिंगलेना के लोगों ने आपसी भाईचारे और मानवता की अनूठी मिसाल पेश की. इसका वीडियो भी आया है. जिसमें अर्थी के पीछे सैकड़ों लोग चल रहे हैं. इस दौरान महिला के लिए लोग दुआएं भी पढ़ते दिखे. 

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इस भावनात्मक क्षण ने साफ कर दिखाया कि किसी भी धर्म से ऊपर इंसानियत होती है और कठिन समय में लोग एक-दूसरे के साथ खड़े होते हैं. यह घटना सांप्रदायिक सौहार्द और एकता का प्रेरणादायक उदाहरण है. जो दर्शाता है कि समाज में एक-दूसरे की मदद करने से बड़ी कोई और चीज नहीं होती. 

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1990 के दशक के शुरुआत से ही कश्मीरी पंडितों के खिलाफ घाटी में हिंसा और उग्रवाद की घटनाएं बढ़ गई थी. जिसकी वजह से हजारों की संख्या में कश्मीरी पंडित पलायन करने के लिए मजबूर हो गए. हालांकि, पिंगलेना से आई ये तस्वीर पंडितों के दिलों को थोड़ी ठंडक देगी. 

 



बता दें कि जम्मू-कश्मीर में 2019 अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त कर दिया गया था. जिसके बाद आतंकवाद की घटनाओं में कटौती आई. लेकिन, प्रवासियों पर हमले तेज हो गए.

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साल 2024 में प्रदेश में सुरक्षाबलों ने आतंक से जुड़े 25 मामलों में कुल 61 आतंकियों को मार गिराया, जिसमें 21 पाकिस्तान के थे. हालांकि, 24 जवान भी शहीद हो गए. जवानों की शहादत होने की संख्या 2024 और 2023 में थोड़ा अंतर था. 2023 में 27 जवान शहीद हुए थे.

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