
फंडिंग (Terror Funding) मामले में शनिवार से ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) जम्मू-कश्मीर के 14 जिलों के 45 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी कर रही है. ये छापेमारी जमात-ए-इस्लामी (Jamaaat-E-Islami) के ठिकानों पर की जा रही है. बताया जा रहा है कि इस संगठन से जुड़े अहम लोगों के घर पर भी NIA ने दबिश दी है. लेकिन ये छापेमारी क्यों हो रही है? क्या है जमात-ए-इस्लामी संगठन और इसका पाकिस्तान से क्या है कनेक्शन? आइए समझते हैं...
क्यों हो रही है छापेमारी?
गृह मंत्रालय (MHA) से जुड़े सूत्रों ने बताया कि जमात हेल्थ और एजुकेशन करने के नाम पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के जरिए दुबई और तुर्की जैसे देशों से फंडिंग ले रहा था और उसका इस्तेमाल आतंक के लिए कर रहा था. बताया जा रहा है कि जमात लश्कर, हिज्बुल मुजाहिद्दीन और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को फंडिंग करने की फिराक में था.
गृह मंत्रालय को खुफिया एजेंसियों ने बताया था कि जम्मू-कश्मीर से 370 हटने के बाद पत्थरबाजी और आतंकी घटनाओं में कमी आई है और जमात फिर से आतंक फैलाना चाहता था. बताया जा रहा है कि हाल ही में जमात ने नए अलगाववादियों और आतंकियों की भर्ती के लिए एक सीक्रेट मीटिंग भी की थी.
क्या है जमात-ए-इस्लामी?
जमात-ए-इस्लामी 7 दशकों से भी ज्यादा पुराना संगठन है. ये जमात-ए-इस्लामी हिंद से अलग संगठन है और 1953 में इसने अपना संविधान भी बनाया था. ये संगठन अलगाववाद और आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देता है. जमात-ए-इस्लामी अपनी अलगाववादी विचारधारा और पाकिस्तानी एजेंडे के तहत कश्मीर में आतंकवाद का समर्थन करता है और युवाओं का ब्रेनवॉश कर उनका इस्तेमाल आतंक के लिए करता है. कश्मीर में होने वाली ज्यादातर आतंकी घटनाओं के पीछे भी इसी संगठन को जिम्मेदार माना जाता है.
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पाकिस्तान से क्या है कनेक्शन?
कश्मीर के सबसे बड़े आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन (Hizbul Mujahideen) को खड़ा करने के पीछे भी जमात ही है. गृह मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, हिज्बुल के आतंकियों को ट्रेन्ड करना, उनकी फंडिंग करना, उनको हथियार-बारूद मुहैया कराना जैसे काम जमात ही करता था. हिज्बुल को पाकिस्तान से ही हथियार और फंडिंग मिलती है, जिसके बलबूते वो कश्मीर में आतंकी घटनाओं को अंजाम देता है और इन सबमें उसकी मदद जमात ही करता है.
हिज्बुल का सरगना सैयद सलाउद्दीन (Sayeed Salahudeen) पाकिस्तान में छिपा हुआ है और वहीं से वो इस पूरे संगठन को चलाता है. सलाहुद्दीन आतंकवादी संगठनों के समूह यूनाइटेड जिहाद काउंसिल का भी अध्यक्ष है.
अलगाववादी संगठन ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की स्थापना के पीछे भी जमात का ही हाथ है. जमात ने पाकिस्तान के समर्थन से इसे स्थापित किया है. ये संगठन पाकिस्तान की ओर से प्रायोजित आतंकवाद का समर्थन करता है.
क्या करता है जमात-ए-इस्लामी?
जमात-ए-इस्लामी धार्मिक गतिविधियों के नाम पर फंड जुटा कर उसका इस्तेमाल राष्ट्र विरोधी अलगाववादी गतिविधियों के लिए करता है. जमात सक्रिय रूप से हिज्बुल मुजाहिदीन के लिए अपने संसाधनों का इस्तेमाल कर जम्मू-कश्मीर के युवाओं का ब्रेनवाश कर उन्हें भारत विरोधी भावनाओं को भड़काने और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल करने का काम करता है. हिज्बुल के अलावा जमात और दूसरे आतंकी संगठनों की भी मदद करता है और उनका समर्थन करता है. जमात के नेता जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय को चुनौती देते रहते हैं.
तीन बार लग चुका है बैन?
जमात को उसकी आतंकी और अलगाववादी गतिविधियों की वजह से तीन बार प्रतिबंधित भी किया जा चुका है. सबसे पहले जम्मू-कश्मीर सरकार ने 1975 में दो सालों के लिए इस संगठन को बैन कर दिया था. उसके बाद 1990 से 1993 तक भी इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. तीसरी बार मार्च 2019 में केंद्र सरकार ने जमात-ए-इस्लामी पर 5 साल के लिए प्रतिबंध लगाया है.