
जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनावों में बडगाम और गांदरबल से विजयी रहे उमर अब्दुल्ला ने बडगाम विधानसभा सीट छोड़ने का फैसला किया है. वह गांदरबल के विधायक रहेंगे और विधानसभा में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेंगे. यह सीट अब्दुल्ला परिवार का गढ़ मानी जाती है और यही वजह है कि उन्होंने इस सीट को अपने पास बरकरार रखा है.
इस ऐलान की जानकारी प्रो-टेम स्पीकर मुबारक गुल ने सोमवार को विधानसभा में दी. उमर अब्दुल्ला ने गांदरबल सीट का पहले भी प्रतिनिधित्व किया है. वह 2009 से 2014 तक जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रहे थे. चूंकि विधानसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला ने गांदरबल और बडगाम दोनों ही सीटें जीती थी, तो ऐसे में पार्टी के पास 42 विधानसभा की सीटें थीं.
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विधानसभा में घटी नेशनल कॉन्फ्रेंस की सीटें
अब उमर अब्दुल्ला ने बडगाम सीट छोड़ दी है और इसके साथ ही 95 सदस्यीय विधानसभा में नेशनल कॉन्फ्रेंस की सीटें भी 41 हो गई हैं. हालांकि, पार्टी अब भी 6 कांग्रेस विधायकों, 5 निर्दलीय विधायकों और आम आदमी पार्टी और सीपीआई(एम) के एक-एक विधायक के समर्थन से आरामदायक बहुमत बनाए हुए हैं.
अब्दुल्ला परिवार का गढ़ है गांदरबल
गांदरबल सीट नेशनल कांफ्रेंस और अब्दुल्ला परिवार के लिए पारंपरिक स्थायी गढ़ माना जाता है. उमर अब्दुल्ला का यह कदम आगामी राजनीतिक रणनीतियों को प्रभावित कर सकता है और भविष्य की राजनीति में उनकी बढ़ती भूमिकाओं को भी दिशा दे सकता है. नेशनल कांफ्रेंस के नेताओं ने उमर के इस फैसले का स्वागत किया है और इसे पार्टी के हित में अहम कहा है.
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संसदीय चुनाव हार गए थे उमर अब्दुल्ला
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बारामूला से लोकसभा चुनाव भी लड़ा था. हालांकि, वह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे इंजीनियर राशिद से हार गए थे. इसके बाद उन्होंने विधानसभा का चुनाव लड़ने का फैसला किया और दो सीटों से पर्चा भरा था. वह दोनों ही सीट जीत गए थे.