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नए कानून के बाद J-K में बाहरी खरीद सकेंगे जमीन, उमर अब्दुल्ला बोले- लद्दाख के साथ विश्वासघात

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जमीन को लेकर नए आदेश से यह साफ हो गया है कि बीजेपी मुस्लिम बहुल राज्य के ढांचे को बदलना चाहती है. लेकिन बता दूं कि जम्मू के लोग इस भूमि कानून से अधिक दुखी होंगे. इससे पहले कि यह कश्मीर के लोगों को प्रभावित करे, यह जम्मू के लोगों पर असर डालेगा.

जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला
शुजा उल हक
  • श्रीनगर,
  • 27 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 12:50 AM IST
  • जम्म-कश्मीर, लद्दाख में जमीन पर नई अधिसूचना
  • उमर अब्दुल्ला बोले- नई अधिसूचना हमें स्वीकार नहीं
  • बीजेपी जम्मू-कश्मीर को बदलना चाहती है- उमर

केंद्र सरकार ने जमीन खरीद को लेकर नई अधिसूचना जारी की है. इसमें जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने को लेकर भी नियम शामिल हैं. इन नियमों के मुताबिक कोई भी बाहरी शख्स जम्मू-कश्मीर में गैर कृषि भूमि को खरीद सकता है. लेकिन वहीं जमीन खरीद संबंधी नए नियमों पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह हमें स्वीकार्य नहीं है.

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उमर अब्दुल्ला ने 'इंडिया टुडे' से बातचीत में कहा, 'नया कानून हमें स्वीकार नहीं है. जमीन को लेकर बुनियादी सुरक्षा, जो हिमाचल प्रदेश जैसे समान राज्यों के लिए उपलब्ध है, वो हमें नहीं दी गई है. हिमाचल प्रदेश जैसे कई राज्य हैं, जहां कोई बाहरी जमीन नहीं खरीद सकता है. जम्मू-कश्मीर को बेचा जा रहा है. वे इस राज्य को बदलना चाहते हैं.

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि संघीय ढांचे में वे ( केंद्र की मोदी सरकार) जम्मू-कश्मीर के लोगों पर ऐसे शासन नहीं कर सकते हैं. यह तानाशाही है. उन्होंने लद्दाख के लोगों के साथ विश्वासघात किया है. यह भी देखिए कि कैसे वो लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद (LADH) चुनाव पूरा होने के बाद इन कानूनों को लेकर आए हैं. अगर उन्होंने पहले ऐसा किया होता तो वे (बीजेपी) वहां कभी नहीं जीते होते.'

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केंद्र सरकार का कहना है कि नए नियमों के बाद जम्मू-कश्मीर में निवेश आएगा और इंडस्ट्री लगेगी. इस पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि क्या हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में निवेश नहीं आ रहा है? औद्योगिक विकास की दलील बड़ा छलावा है. जम्मू में इससे पहले भी बड़े कल कारखाने लगे हुए थे. अनुच्छेद 370 से उद्योग को कोई खतरा नहीं है, उद्योग को दहशतगर्दी से खतरा है. असली बात यह है कि बीजेपी और आरएसएस इस देश में एक मुस्लिम बहुल राज्य नहीं चाहते हैं. यह उनका अखंड भारत का एजेंडा है.

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नए नियमों के तहत कमांडर स्तर का एक सैन्य अधिकारी रणनीतिक इस्तेमाल को लेकर जमीन के बारे में अपनी अनुशंसा कर सकता है. इस पर आप क्या कहेंगे?

इंडिया टुडे के साथ इंटरव्यू में उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यही समस्या है. क्या अब सेना का एक अधिकारी यह अधिसूचित करेगा कि कौन सी जमीन इस्तेमाल लायक है? हम एक नागरिक देश हैं, जहां सिविलियन कानून चलता है न कि आर्मी का. जमीन को लेकर फैसला करने का अधिकार नागरिकों के हाथ में ही रहना चाहिए. यदि ऐसा है क्योंकि चारों ओर सीमा है, तो अन्य राज्यों में ऐसी चीजें क्यों नहीं की जा सकती हैं, जहां सीमाएं मौजूद हैं?

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'लोगों में पैदा होगा डर'

क्या इस नोटिफिकेशन से डेमोग्राफिक बदलाव को लेकर लोगों में एक किस्म का डर पैदा होगा? उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इस नियम से जनसांख्यिकीय परिवर्तन का डर बढ़ेगा. आज के आदेश से यह साफ हो गया है कि वे (बीजेपी) मुस्लिम बहुल राज्य के ढांचे को बदलना चाहते हैं. लेकिन बता दूं कि जम्मू के लोग इस भूमि के स्वामित्व से अधिक दुखी होंगे. इससे पहले कि यह कश्मीर के लोगों को प्रभावित करे, यह जम्मू के लोगों पर असर डालेगा. 

इस पर गुपकार क्या करेगा? उमर अब्दुल्ला ने कहा कि गुपकार घोषणा को लेकर बना गठबंधन इस पर विचार विमर्श के लिए बैठक करेगा. हम जम्मू का भी दौरा करेंगे, और अल्टीमेटली हम यही कहेंगे कि हम राज्य की विधायिका को सशक्त बनाने के लिए काम करेंगे. हम राज्य की पूर्ववतः स्थिति को बहाल करने के लिए काम करेंगे.

 

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