
करगिल की धरती पर जवानों के साथ दिवाली मनाने गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन के दौराम कई बड़े बातें बोलीं. उनकी तरफ से देश की ताकत का जिक्र हुआ, जवानों की शौर्यगाथा का बखान हुआ और साथ ही साथ दुश्मनों को कड़ा संदेश देने का काम भी किया गया. इसके अलावा प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान एक जोशीली कविता सुनाई, उन्होंने 6 मिनट तक लगातार जवानों की तारीफ में कसीदे पढ़ें, कविता की पंक्तियों के जरिए उनका हौसला बढ़ाया. कभी उनकी तुलना तेजस से की तो कभी ब्रह्मोस जैसी उनकी ललकार बताई. आप भी पढ़िए पीएम मोदी की जवानों को समर्पित ये कविता-
तन तिरंगा मन तिरंगा, चाहत तिरंगा, राह तिरंगा
विजय का विश्वास गरजता
सीमा से भी चौड़ा सीना
संपनों में संकल्प सुहाता
कदम-कदम पर दम दिखाता
भारत की गौरव की शान
तुम्हें देख रहा हर भारतीय गर्व से भर आता
वीर गाथा घर-घर गूंजे, नर-नारी सब शीश नवाए
सागर से गहरा स्नेह हमारा, अपने भी हैं, और सपने भी हैं
देशहित सब किया समर्पित
अब देश के दुश्मन जान गए हैं
लोहा तेरा मान गए हैं
भारत के गौरव की शान
तुम्हें देख हर भारतीय गर्व से भर आता है
प्रेम की बात चले तो सागर शांत हो तुम
पर देश पर नजर उठी तो वीर, वज्र विक्रांत हो तुम
एक निडर अग्नि, एक आग हो तुम,
निर्भय, प्रचंड और नाग हो तुम
अर्जुन, पृथ्वी, अरिहंत हो तुम
हर अंधकार का अंत हो तुम
तुम यहां तपस्या करते हो
वहां देश धन्य हो जाता है
भारत के गौरव की शान
तुम्हें देश हर भारतीय गर्व से भर जाता है
स्वाभिमान से खड़ा हुआ मस्तक हो तुम
आसमान में तेजस की हुंकार हो तुम
दुश्मन की आंख में आंख डाल जो बोले
ब्रह्मोस की अजय ललकार हो तुम
है ऋणी हम तुम्हारे हर पल
यह सत्य देश दोहराता है
भारत के गौरव की शान
तुम्हें देख हर भारतीय गर्व से भर आता है
अब प्रधानमंत्री की इस कविता ने तो जवानों का हौसला बढ़ाया ही, इसके अलावा उनके दिए संबोधन में भी कई बड़े संदेश छिपे रहे. पीएम ने करगिल की धरती से कहा कि पिछले कुछ सालों में सेना में सुधार के लिए कई रीफॉर्म किए गए हैं. फिर चाहे वो बेहतर तालमेल के लिए सीडीएस बनाना रहा हो या फिर बॉर्डर पर अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना हो. पीएम ने इसी कड़ी में आत्मनिर्भरता का भी मंत्र दिया. उन्होंने कहा कि अगर देश का जवान स्वदेशी हथियार का इस्तेमाल करेगा तो दुश्मन का परास्त होना तो तय होगा ही, जवान का हौसला भी दस गुना बढ़ जाएगा.