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क्यों बातचीत की पटरी पर लौटी सरकार, 5 दिन पहले लगी थी मुहर?

पिछले महीने सितंबर में ही राजनाथ सिंह चार दिन के दौरे पर कश्मीर होकर आए. इस दौरान राज्य में विकास प्रोजेक्ट्स पर सूबे की मुखिया से चर्चा की गई.

राजनाथ सिंह के साथ महबूबा मुफ्ती राजनाथ सिंह के साथ महबूबा मुफ्ती
जावेद अख़्तर
  • नई दिल्ली,
  • 23 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 5:56 PM IST

2014 में केंद्र की सत्ता पर काबिज होने के बाद मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर समस्या के समाधान पर पहली बार बड़ी पहल का ऐलान किया है. मोदी सरकार अब इस मसले पर सभी पक्षों से बातचीत के लिए तैयार हो गई है. सोमवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी घोषणा की है. कहा जा रहा है कि भले ही मोदी सरकार ने ऐलान आज किया है पर इस फैसले पर आखिरी मुहर 5 दिन पहले ही लग गई थी, जब राजनाथ सिंह और पीडीपी चीफ और जम्मू-कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती की मुलाकात हुई थी.

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सरकार की ओर से कौन करेगा बातचीत?

गृहमंत्री ने ये भी बताया कि बातचीत के लिए पूर्व आईबी प्रमुख दिनेश्वर शर्मा केंद्र की ओर से प्रतिनिधित्व करेंगे. राजनाथ ने बताया कि दिनेश्वर शर्मा सभी पक्षों से बातचीत करेंगे. हालांकि, जब उनसे ये पूछा गया कि क्या सरकार सीधे तौर पर अलगाववादियों से बात करेगी? इस पर उन्होंने दिनेश्वर शर्मा को फैसला लेने के अधिकार की बात कह डाली.

क्यों बातचीत की पटरी पर लौट रही है मोदी सरकार?

मोदी सरकार के इस बड़े ऐलान के पीछे मौजूदा हालातों को भी माना जा रहा है. दरअसल, सरकार कई बार ये ऐलान कर चुकी है कि सेना को आतंकवाद की कमर तोड़ने की पूरी छूट है. यही वजह रही कि सेना ने घाटी में आतंकियों को नष्ट करने के लिए बाकायदा उन्हें चिन्हित किया और 250 से ज्यादा की लिस्ट बनाई. आतंकियों के अंत के लिए 'ऑपरेशन ऑलआउट' चलाया गया और घाटी में सुरक्षाबलों ने बड़ी संख्या में आतंकियों का खात्मा किया.

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वानी के एनकाउंटर के बाद से अशांत है कश्मीर

जुलाई 2016 में सेना ने कश्मीर के पोस्टर ब्वॉय आतंकी बुरहान वानी को ढेर था. इसके बाद घाटी में लगातार अशांति रही. आम नागरिकों के खिलाफ पैलेट गन के इस्तेमाल तक बात पहुंच गई. कथित पर कश्मीर में अशांति फैलाने वालों की समर्थक कही जाने वाली पीडीपी और बीजेपी के गठबंधन की भी खूब आलोचना होने लगी.

हमदर्द बनने की कोशिश

इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर मुमकिन मौके पर कश्मीर की जनता से हमदर्दी दिखाने की कोशिश की. दूसरी तरफ गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी घाटी के दौरे कर बातचीत के माहौल को सकारात्मक रुख देनी की कोशिशें की. पिछले महीने सितंबर में ही राजनाथ सिंह चार दिन के दौरे पर कश्मीर होकर आए. इस दौरान राज्य में विकास प्रोजेक्ट्स पर सूबे की मुखिया से चर्चा की गई.

राजनाथ-महबूबा की मुलाकात में लगी आखिरी मुहर?

दिवाली से ठीक पहले 18 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती एक बार फिर दिल्ली में राजनाथ सिंह से मिलने पहुंचीं. कश्मीर में सुरक्षा को लेकर चर्चा की गई. सोमवार को जब राजनाथ सिंह ने बड़ा ऐलान करते हुए ये भी कहा कि कश्मीर समस्या के समाधान को लेकर केंद्र और राज्य सरकार दोनों संजीदा हैं. ऐसे में इस बात को लेकर भी चर्चा है कि क्या बुधवार को दिल्ली में हुई राजनाथ और महबूबा मुफ्ती की उस मीटिंग में बातचीत के ऐलान पर अंतिम मुहर लग गई थी?

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