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J&K: RSS प्रमुख मोहन भागवत बोले, घाटी में जल्द अपने घर लौट सकेंगे विस्थापित कश्मीरी पंडित

हाल ही में रिलीज हुई फिल्म द कश्मीरी फाइल्स के बाद कश्मीरी विस्थापित पंडितों का मुद्दा जोर पकड़ गया है. वहीं आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने कहा कि कश्मीरी पंडितों के लौटने के संकल्प को पूरा करने का समय आ गया है. जल्द ही कश्मीरी पंडित घरों को लौट सकेंगे.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत (फाइल फोटो) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • जम्मू,
  • 03 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 7:40 PM IST
  • मोहन भागवत ने की कश्मीर फाइल्स की तारीफ
  • 'अनुच्छेद-370 हटाने से घाटी में वापसी का रास्ता खुला'

Mohan Bhagwat on Kashmiri Pandits: बीते कुछ समय से कश्मीरी पंडितों का मुद्दा चर्चा में है. वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत  (RSS Chief Mohan Bhagwat) ने कहा कि कश्मीरी पंडित जल्द ही कश्मीर में अपने घरों के लिए लौट सकेंगे.

इतना ही नहीं, उन्होंने 'द कश्मीर फाइल्स' (The Kashmir Files) फिल्म की भी प्रशंसा की. मोहन भागवत ने कहा कि इस फिल्म ने 1990 में घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन के पीछे की वास्तविकता को बताया है साथ ही जन जागरूकता पैदा की है.

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एजेंसी के मुताबिक आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत तीन दिवसीय नवरेह कार्यक्रम में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि घाटी में कश्मीरी पंडितों के लौटने के संकल्प को पूरा करने का समय आ गया है. मोहन भागवत ने कहा कि घाटी में लौटने की हमारी प्रतिज्ञा को पूरा करने में अब ज्यादा दिन नहीं लगेंगे. यह बहुत जल्द सच हो जाएगा. उन्होंने कहा कि हमें इस दिशा में प्रयास जारी रखना होगा. साथ ही कहा कि हमारा इतिहास और महान नेता हमारे मार्गदर्शक और प्रेरणा हैं. 

2011 में हुए कार्यक्रम का जिक्र किया

एजेंसी के मुताबिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने साल 2011 में दिल्ली में कश्मीरी पंडितों के उत्सव 'हेराथ' (शिवरात्रि) में शामिल होने का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों ने उस दिन प्रतिज्ञा की थी कि वे अपने वतन लौट आएंगे. उन्होंने कहा कि चुनौतियां हर किसी के जीवन में आती हैं. हम तीन-चार दशक पहले अपने ही देश में विस्थापित हुए थे. साथ ही कहा कि हम हार नहीं मानेंगे और अपने घरों को लौटकर अपनी प्रतिज्ञा को पूरा होते हुए देखेंगे.

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यहूदियों का दिया उदाहरण

मोहन भागवत ने इस दौरान इज़राइल का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि यहूदियों ने अपनी मातृभूमि के लिए 1800 वर्षों तक संघर्ष किया. 1700 साल में भले ही प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए बहुत कुछ नहीं किया गया था, लेकिन पिछले 100 वर्षों में इज़राइल के इतिहास ने इसे अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लिया. 

भागवत ने कहा- कश्मीर भारत का अभिन्न अंग

उन्होंने कहा कि हमें (कश्मीरी पंडितों) को इस तथ्य के बावजूद दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कहना पड़ा है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. हम कहीं भी रह सकते हैं, लेकिन अपनी मातृभूमि को नहीं भूल सकते. भागवत ने कहा कि 'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म ने दुनिया के सामने कश्मीरी पंडितों का दर्द उजागर किया है. अनुच्छेद-370 हटाने से पंडितों की कश्मीर घाटी में वापसी का रास्ता खुल गया है.

'हमें चरमपंथ को हराना है'

मोहन भागवत ने कहा कि कश्मीरी पंडितों ने अतीत में विस्थापन का सामना किया है, लेकिन भविष्य में आपके साथ ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए. ऐसा माहौल बनाने के लिए काम चल रहा है, जहां आप पहले की तरह अपने पड़ोसियों के साथ सुरक्षित महसूस करेंगे और शांति से रहेंगे. कोई भी आपको वहां से नहीं हटा पाएगा. अगर कोई ऐसा करने की कोशिश भी करता है तो सजा से बच नहीं पाएगा. हमें चरमपंथ को हराना है और सबके साथ शांति से रहना है.
 

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