
रोजगार के वादों को लेकर जम्मू-कश्मीर में भी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. श्रीनगर में कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (केपीएसएस) के सदस्य धरने पर बैठ गए हैं. समिति की ओर से रोजगार के वादों को पूरा करने की मांग की जा रही है. पदाधिकारियों का आरोप है कि स्थानीय प्रशासन यहां रहने वाले हिंदुओं की अनदेखी कर रहा है. नए एलजी से मुलाकात के बाद भी कोई राहत नहीं है.
समिति के अध्यक्ष संजय तिक्कू ने कहा कि धारा-370 और 35-A के हटने के बाद से कश्मीरी हिंदुओं को राहत विभाग के हाथों उत्पीड़न और अलगाव का सामना करना पड़ रहा है. जून 2020 से कई बार भ्रष्ट कर्मचरियों के बारे में प्रशासन को अवगत कराया गया है, लेकिन अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है.
उन्होंने आरोप लगाया कि विभाग की गलत नीतियों के चलते उन 808 कश्मीरी पंडित परिवारों का जीना मुश्किल हो गया है, जिन्होंने 90 के दशक में यहां से पलायन नहीं किया था. समिति ने मांग उठाई है कि बेरोजगार शिक्षित कश्मीरी पंडित और युवाओं को नौकरियां दी जाएं. साथ ही 808 गैर प्रवासी कश्मीरी पंडित परिवारों को मासिक वित्तीय मदद की जाए.
बता दें कि 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर विपक्षी दल सहित कई संगठनों ने बेरोजगारी दिवस के रूप में मनाया था. सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर कई हैशटैग ट्रेंड कर रहे थे. देश के कई हिस्सों में सड़कों पर युवाओं ने प्रदर्शन किया था.
इस मौके पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि देश में एक करोड़ से अधिक लोग बेरोजगार हैं जबकि सरकारी नौकरी की जगह सिर्फ लाखों में है. यही कारण है कि युवाओं को बेरोजगारी दिवस मनाना पड़ रहा है.