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मुठभेड़ के वक्त आतंकियों का कवच बन रहे थे पत्थरबाज, दोहरी चुनौती से जूझ रहे थे जवान

जम्मू-कश्मीर में हाल के वर्षों में अब स्थानीय लोग सेना पर पत्थरबाजी और भीड़ के रूप में सुरक्षाकर्मियों का रास्ता रोककर आतंकियों की मदद करने लगे हैं.

पत्थरबाजी (फोटो क्रेडिट-रॉयटर्स) पत्थरबाजी (फोटो क्रेडिट-रॉयटर्स)
सुरभि गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 01 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 11:42 PM IST

जम्मू-कश्मीर में 1 अप्रैल 2018 को सुरक्षाबलों ने अपने एक बड़े ऑपरेशन को अंजाम देते हुए 12 आतंकियों को मार गिराया. लेकिन अपनी कार्रवाई के दौरान सेना को स्थानीय लोगों से संघर्ष भी करना पड़ा. जवानों के सामने दोहरी चुनौती थी. एक तरफ आतंकी थे जो गोलियां बरसा रहे थे तो दूसरी तरफ पत्थरबाज थे जो आतंकियों के लिए कवच बनने की कोशिश कर रहे थे. मुठभेड़ में तीन जवानों को शहादत देनी पड़ी.

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लोगों की भीड़ ने सेना का ऑपरेशन असफल करने की पुरजोर कोशिश की. पुलिस ने बताया कि द्रगड़, कचदूरा और सुगान गांवों में प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा बलों पर पथराव कर उनका रास्ता रोका. इसके बाद सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले फेंके और पैलेट्स का इस्तेमाल किया. सुरक्षाबलों और भीड़ के बीच संघर्ष में दो नागरिकों की भी मौत हो गई और कई घायल हो गए. ये पहला मौका नहीं है, जब स्थानीय लोगों की भीड़ ने आतंकियों को बचाने की कोशिश की हो.

आतंकियों के मददगार बनते स्थानीय लोग

जम्मू-कश्मीर में हाल के वर्षों में स्थानीय लोग सेना पर पत्थरबाजी और भीड़ के रूप में सुरक्षाकर्मियों का रास्ता रोककर आतंकियों की मदद करने लगे हैं. साल 2017 में भी ऐसी कई वारदातें सामने आईं, जहां भीड़ ने सुरक्षा बलों को निशाना बनाया. 2016 में हिज्बुल आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर वादी सुलग उठी. बुरहान वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर घाटी में हुई हिंसा से पैदा हुई तनावपूर्ण स्थिति ठीक भी नहीं हुई थी कि भीड़ ने दक्षिणी कश्मीर में स्थित बीएसएफ कैंप को अपना निशाना बना लिया. करीब 500 लोगों ने पथराव किया और सुरक्षा कर्मियों पर हमला करने की कोशिश की थी.

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आतंकियों से लड़ते जवानों पर पत्थरों की बौछार

पिछले साल 2017 फरवरी में जम्मू कश्मीर के हंदवाड़ा और बांदीपुरा में आतंकियों से लोहा लेते सेना के जांबाजों के साथ जो सलूक हुआ, वह किसी सदमे से कम नहीं था. एक तरफ आतंकियों की गोलियों की बौछार थी, तो दूसरी तरफ आतंकियों के मददगार बने कुछ स्थानीय लोग पत्थरों की बौछार कर रहे थे. दोहरे हमले से जूझते हुए देश के जवानों ने दोनों जगहों पर 6 आतंकियों को तो ढेर कर दिया, लेकिन 4 जवान भी शहीद हो गए.

आतंकियों के मददगार पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी

मुठभेड़ के दौरान पत्थरबाजी की घटना का आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने विरोध किया. आर्मी चीफ ने साफ कहा कि पत्थरबाजों को आतंकवादियों का हमदर्द और देशद्रोही माना जाएगा. सेना प्रमुख ने सख्त लहजे में कहा, 'आतंकियों के खिलाफ सेना के ऑपरेशन के दौरान जो लोग बाधा पहुंचाते हैं, उन्हें आतंकियों के लिए काम करने वाला ही माना जाएगा. उनके साथ वैसा ही सलूक किया जाएगा.'

त्राल एनकाउंटर से तीसरे आतंकी को बचा ले गई थी भीड़, वीडियो से खुलासा

मई 2017 को कश्मीर में आतंकी बुरहान वानी के वारिस सबजार बट के खात्मे से जुड़ा एक अहम खुलासा हुआ था. आजतक को मिले एक वीडियो से घाटी की हकीकत सामने आई थी. दरअसल वीडियो में सामने आया था कि स्थानीय लोग सुरक्षाबलों से आतंकियों को बचाने के लिए कैसे मदद दे रहे थे.

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