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सुप्रीम कोर्ट ने एमवाई तारिगामी को दी जम्मू-कश्मीर जाने की इजाजत

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुनवाई के दौरान कहा कि एमवाई तारिगामी की लोकेशन का पता चल गया है, ऐसे में सुनवाई की जल्दी क्या है. अदालत ने इस दौरान उनकी तबीयत के बारे में जानकारी ली. सरकार की ओर से बताया गया कि वह अभी जम्मू-कश्मीर भवन में हैं.

सुप्रीम कोर्ट में हुई कश्मीर मसले पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई कश्मीर मसले पर सुनवाई
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 16 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 11:22 AM IST

  • सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर पर सुनवाई
  • एमवाई तारिगामी को श्रीनगर जाने की इजाजत
  • सीताराम येचुरी ने दाखिल की थी याचिका
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को जम्मू-कश्मीर से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई हुई. सीपीआई (एम) नेता सीताराम येचुरी ने भी अदालत में याचिका डाली थी और उनकी पार्टी के नेता एमवाई तारिगामी की तबीयत की जानकारी दी गई. इस दौरान उन्होंने अदालत को बताया कि तारिगामी को जम्मू-कश्मीर भवन से बाहर निकलने की इजाजत नहीं है. जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत एमवाई तारिगामी को जम्मू-कश्मीर जाने की इजाजत दे दी.

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दरअसल, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुनवाई के दौरान कहा कि एमवाई तारिगामी की लोकेशन का पता चल गया है, ऐसे में सुनवाई की जल्दी क्या है. अदालत ने इस दौरान उनकी तबीयत के बारे में जानकारी ली. सरकार की ओर से बताया गया कि वह अभी जम्मू-कश्मीर भवन में हैं.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस दौरान एमवाई तारीगामी को जम्मू-कश्मीर जाने की इजाजत दे दी. उन्होंने पूछा कि उन्हें अभी तक जम्मू-कश्मीर भवन में क्यों रखा गया है. अगर उनकी तबीयत ठीक है और वो जाना चाहते हैं तो क्यों उन्हें रोका जा रहा है.

सीताराम येचुरी के वकील की ओर से कहा गया था कि एमवाई तारिगामी को जम्मू-कश्मीर भवन से बाहर निकलने की इजाजत नहीं दी गई थी.

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में सीताराम येचुरी ने पहले एमवाई तारिगामी से मिलने की इजाजत मांगी थी, तब वह श्रीनगर में थे और उनकी तबीयत खराब थी. सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मिलने के बाद सीताराम येचुरी श्रीनगर गए, तारिगामी से मिले. इतना ही नहीं अदालत ने एमवाई तारिगामी को दिल्ली शिफ्ट करने को कहा, बीते दिनों उन्हें एम्स से छुट्टी मिली और जम्मू-कश्मीर भवन शिफ्ट कर दिया गया.

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गौरतलब है कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर से जुड़ी 8 याचिकाओं पर सुनवाई हुई. इसमें अनुच्छेद 370 को हटाने, प्रेस पर लगी पाबंदी, फारूक अब्दुल्ला की हिरासत आदि से जुड़े कई मामले शामिल रहे.

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