
टारगेट किलिंग के डर से आज और अधिक कश्मीरी पंडित कश्मीर घाटी से निकल गए हैं. लगातार जारी पलायन में, उसी गांव में पूरन कृष्ण भट की हालिया हत्या के बाद दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के चौधरीगुंड इलाके से 10 कश्मीरी पंडित अपने परिवारों (30 से 40 लोग) समेत निकल गए हैं.
चौधरी गोंड से कभी नहीं हुआ था कश्मीरी पंडितों का पलायन
दक्षिणी कश्मीर के शोपियां जिले में चौधरी गोंड एक ऐसा गांव था जहां से कश्मीरी पंडितों ने कभी पलायन नहीं किया. यहां पर करीब 10 परिवार कश्मीरी पंडितों के परिवार तब भी डटे रहे जब 1990 में बड़े पैमाने पर कश्मीरी पंडितों ने देश के दूसरे शहरों की ओर पलायन किया था. लेकिन इसी महीने की 15 तारीख को चौधरी कुंड में हुए एक कश्मीरी पंडित पूर्ण कृष्ण की हत्या के बाद यहां से भी कश्मीरी पंडितों ने पलायन कर लिया है.
आजतक के साथ बातचीत में कश्मीरी पंडितों के एक पड़ोसी मोहम्मद मकबूल ने बताया की 15 तारीख को गांव में कश्मीरी पंडित के हत्या के बाद सभी पंडित परिवार डरे और सहमे थे और इसी कारण से वह यहां से जम्मू की तरफ पलायन कर चुके हैं. गांव का मंदिर सुनसान हो गया है और अब यहां सुबह कोई पूजा पाठ भी नहीं हो रहा है. कश्मीर में इस साल अप्रैल के महीने में जब कश्मीरी पंडितों की हत्याओं का सिलसिला शुरू हुआ था तब भी चौधरी गोंड सुफियान में कश्मीरी पंडित नहीं डरे थे लेकिन अपने आंखों के सामने एक कश्मीरी पंडित कि आतंकियों द्वारा हत्या के बाद गांव में रह रहे परिवारों ने पलायन कर लिया है. कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय टिक्कू ने आजतक से बातचीत में कहा कि सरकार कश्मीरी पंडितों को सुरक्षा देने में विफल रही और यही कारण है कि कश्मीरी पंडितों ने कश्मीर से पलायन किया और अब वह कश्मीरी पंडित भी कश्मीर छोड़कर जा रहे हैं जो 3 दशक के आतंकवाद के बावजूद कश्मीर में डटे रहे.
इधर, टारगेट किलिंग के कारण कुछ महीने पहले ही कश्मीर घाटी से भागे सैकड़ों कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारियों के लिए इस बार की दिवाली काली रही. दरअसल ये सैकड़ों कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारी कई महीनों से बिना वेतन के हैं. कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारी पिछले 160 दिनों से अधिक समय से जम्मू में धरने पर हैं.ये धरना इसलिए क्योंकि कई माह से उनका वेतन रुका हुआ है.
'कश्मीर आकर नौकरी ज्वाइन करें तब मिलेगी सैलरी'
प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए मांग की थी कि दिवाली के मद्देनजर उनका वेतन तुरंत जारी किया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.इंडिया टुडे से बात करते हुए, प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने कहा कि उनमें से कई को तो इस साल जून से वेतन नहीं मिल रहा है.ये कर्मचारी वेतन के साथ- साथ जम्मू में अपने ट्रांसफर की मांग कर रहे हैं जबकि इन्हें कहा जा रहा है कि पहले कश्मीर आकर नौकरी ज्वाइन करें तभी सैलरी मिलेगी.
बढ़ी हैं टारगेट किलिंग की घटनाएं
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में टारगेट किलिंग की घटनाएं इस साल अप्रैल-मई से बढ़ गई हैं. बीते 12 मई को बड़गाम जिले में आतंकियों ने राजस्व विभाग के एक अधिकारी को गोली मारी. तहसील ऑफिस में घुसकर आतंकियों ने कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट नाम के अधिकारी को निशाना बनाया. राहुल की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई.
वहीं, इसके बाद 31 मई को कुलगाम में आतंकियों ने महिला टीचर रजनीबाला की गोली मारकर हत्या कर दी थी. वह सांबा की रहने वाली थीं. उनकी हत्या कुलगाम के गोपालपोरा में की गई थी. रजनी गोपालपोरा हाई स्कूल में टीचर थीं. फायरिंग के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया था. इलाज के दौरान उनकी मौत हुई थी.
बैंक मैनेजर पर फायरिंग
इसके बाद 2 जून को आतंकियों ने राजस्थान के हनुमानगढ़ के रहने वाले कुलगाम में एक बैंक मैनेजर पर फायरिंग की. इस हमले में बैंक मैनेजर विजय कुमार की मौत हो गई. विजय कुमार कुलगाम के मोहनपोरा में देहाती बैंक मे तैनात थे. सुरक्षाबलों ने टारगेट किलिंग की इन घटनाओं को अंजाम देने वाले ज्यादातर आतंकियों को ढेर कर दिया है.