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तिरंगा यात्रा: जेटली ने PAK को सुनाई खरी-खरी, कहा- घाटी में पत्थर फेंकने वाले सत्याग्रही नहीं हैं

जेटली ने कश्मीर में जारी अशांति के बीच केंद्र सरकार ने अपनी प्राथमिकताओं को गिनाते हुए कहा कि हिंसा में शामिल लोगों से कोई समझौता नहीं होगा जबकि राज्य के विकास के लिए प्रयास किए जाएंगे जो पिछले 60 वर्षों से नहीं हुए.

वित्त मंत्री अरुण जेटली वित्त मंत्री अरुण जेटली
रोहित गुप्ता
  • जम्मू,
  • 21 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 9:49 AM IST

वित्त मंत्री अरुण जेटली तिरंगा यात्रा में रविवार को जम्मू पहुंचे. उन्होंने पाकिस्तान को जमकर खरी-खरी सुनाई और कहा कि कश्मीर में पथराव में शामिल लोग सत्याग्रही नहीं हैं बल्कि प्रदर्शनकारी हैं जो पुलिस और सुरक्षा बलों को निशाना बनाते हैं. लेकिन सीमित दृष्टिकोण वाले लोग इसे नहीं देख सकते.

'हिंसा में शामिल लोगों से कोई समझौता नहीं होगा'
जेटली ने कश्मीर में जारी अशांति के बीच केंद्र सरकार ने अपनी प्राथमिकताओं को गिनाते हुए कहा कि हिंसा में शामिल लोगों से कोई समझौता नहीं होगा जबकि राज्य के विकास के लिए प्रयास किए जाएंगे जो पिछले 60 वर्षों से नहीं हुए. जम्मू शहर के बाहरी इलाके में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने वर्तमान अशांति के लिए पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा कि युद्ध के माध्यम से राज्य को छीनने में विफल रहने के बाद वह नए तरीके से भारत की अखंडता पर हमला कर रहा है और 1947 में बंटवारे के बाद से ही समस्या उत्पन्न कर रहा है.

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कश्मीर की स्थिति को गंभीर बताते हुए वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तीन प्राथमिकताएं हैं. इन प्राथमिकताओं को गिनाते हुए उन्होंने कहा, ‘देश की सुरक्षा और अखंडता से समझौता नहीं होगा और हिंसा में शामिल लोगों से समझौता नहीं होगा.’ उन्होंने कहा, ‘दूसरी बात कि जम्मू..कश्मीर हिंसा और युद्ध का सामना कर चुका है अत: यहां विकास की जरूरत है जो पिछले 60 सालों से नेशनल कॉन्फ्रेंस ओर कांग्रेस की सरकारों ने नहीं होने दिया. तीसरी बात कि जम्मू बीजेपी का गढ़ है जिस पर ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है.’ उनकी प्राथमिकताएं इसलिए महत्वपूर्ण हैं कि विपक्ष मोदी सरकार पर अशांति से निपटने में कोई नीति नहीं अपनाने का आरोप लगा रहा है. विपक्षी दल अशांति का समाधान करने के लिए राजनीतिक समाधान खोजने और वार्ता करने का दबाव बना रहे हैं.

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'कश्मीर में हालात गंभीर'
कश्मीर में 44 दिनों से चल रही अशांति के बारे में जेटली ने कहा, ‘अब इस समय एक गंभीर स्थिति उभरी है जिसमें पाकिस्तान, अलगाववादी और धार्मिक ताकतों ने हाथ मिलाया है और अब नये तरीके से वे भारत की अखंडता पर हमला कर रहे हैं.’ जेटली ने इसे बड़ी चुनौती बताते हुए कहा, ‘आज इस स्थिति में देश की आवश्यकता है कि हम राष्ट्र की एकता और अखंडता से समझौता नहीं करें.’ उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों से कहा कि अलगाववादियों के खिलाफ संघर्ष में वह देश के साथ खड़े हों ताकि पाकिस्तानी युद्ध के इस नए चरण को इस बार भी परास्त किया जा सके. उन्होंने पथराव करने वालों को आक्रमणकारी बताया.

जेटली ने कहा, ‘वे (पथराव करने वाले) सत्याग्रही नहीं हैं बल्कि आक्रमणकारी हैं. अगर किसी पुलिस चौकी में दस पुलिसकर्मी हैं और उस पर पथराव करने वाले दो हजार लोग हमला करते हैं तो यह हमला है लेकिन कुछ लोग इसे महसूस नहीं कर पाते.’ जेटली ने कहा कि दो युद्ध में हार का सामना करने के बाद पाकिस्तान को महसूस हुआ कि युद्ध के माध्यम से भारत से जम्मू-कश्मीर छीनना संभव नहीं है इसलिए उसने आतंकवादियों को प्रशिक्षण देना और यहां भेजना शुरू कर दिया.

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'PAK ने जम्मू-कश्मीर को भारत का अभ‍िन्न अंग नहीं माना'
वित्त मंत्री ने कहा, ‘लेकिन आतंकवादियों का खात्मा किए जाने के बाद उन्होंने नयी रणनीति अपना ली. जम्मू में 2008 में जब पहली बार अमरनाथ आंदोलन शुरू हुआ तो उन्होंने नया रास्ता अपनाया और पथराव शुरू हो गया.’ उन्होंने कहा, ‘स्कूल जाने वाले बच्चों के बैग में किताब के बजाए पत्थर रखा जाने लगा ताकि वे पुलिस और सुरक्षा बलों को निशाना बना सकें और सीमित दृष्टि वाले लोग केवल गिरफ्तार उपद्रवियों को देखने लगे लेकिन हजारों जख्मी पुलिस और सीआरपीएफ कर्मियों को अस्पताल में पड़े वे नहीं देख सके.’ उन्होंने कहा कि बंटवारे के बाद कभी भी पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग नहीं माना.

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