
जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले के सोनमर्ग क्षेत्र में रविवार शाम एक बड़ा आतंकी हमला हुआ है. इस हमले में बडगाम के एक डॉक्टर और पांच गैर स्थानीय लोगों समेत कम से कम सात लोग मारे गए जबकि पांच अन्य घायल हो गए.
आतंकवादियों ने यह हमला तब किया जब गांदरबल के गुंड में जेड मोड़ टनल परियोजना पर काम कर रहे मजदूर और अन्य कर्मचारी देर शाम अपने शिविर में लौट आए थे. यह घाटी में किसी बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजना के निर्माण श्रमिकों पर पहला बड़ा हमला है. यह हमला ऐसे क्षेत्र में हुआ है जहां पिछले एक दशक में आतंकवादियों की मौजूदगी बहुत कम रही है.
अधिकारियों ने बताया कि जिले के गुंड इलाके में एक टनल परियोजना पर कार्यरत मजदूर एवं अन्य कर्मी देर शाम जब अपने शिविर में लौटे तब अज्ञात आतंकवादियों ने उनपर हमला कर दिया. उन्होंने बताया कि आतंकवादियों ने मजदूरों के समूह पर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें स्थानीय और बाहरी लोग दोनों शामिल थे. माना जाता है कि आंतकवादियों की संख्या कम से कम दो थी.
खाने के लिए मेस में जमा हुए थे कर्मचारी
आतंकियों ने रात 8.30 बजे यह हमला किया. इस समय सभी कर्मचारी खाना खाने के लिये मेस में जमा हुए थे. चश्मदीदों का कहना है कि जब कर्मचारी मेस में खाना खा रहे थे, तभी 3 आतंकी वहां पहुंचे और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. इससे पहले की कोई कुछ समझ पाता आतंकी वारदात को अंजाम देने के बाद वहां से फरार हो गये. आतंकियों की फायरिंग में दो गाड़ियां भी जलकर खाक हो गईं.
यह भी पढ़ें: Gagangir Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में आतंकी हमला, टनल वर्कर्स पर अंधाधुंध फायरिंग, डॉक्टर सहित 7 की मौत
प्रवासी कर्मचारी फिर बने निशाना
आतंकियों ने एक बार फिर जानबूझकर प्रवासी कर्मचारियों को निशाना बनाया. इस हमले में भी मारे गए कंस्ट्रक्शन कंपनी के कर्मचारी अलग-अलग जगहों से ताल्लुक रखते थे. जिसमें से 3 बिहार, एक मध्य प्रदेश और एक जम्मू से हैं और इनमें एक सेफ्टी मैनेजर और एक मैकेनिकल मैनेजर शामिल हैं. मृतक डॉक्टर मध्य कश्मीर के बडगाम का रहने वाला था.
मारे गए लोगों के नाम- गुरमीत सिंह गुरदासपुर (पंजाब) डॉ. शाहनवाज निवासी (बडगाम) मोहम्मद हनीफ (बिहार) अनिल कुमार शुक्ला, मैकेनिकल मैनेजर (मध्य प्रदेश), फहीम नासिर, सुरक्षा प्रबंधक (बिहार) कलीम (बिहार), शशि अबरोल, डिजाइनर (जम्मू) शामिल हैं.
इस अटैक में 5 वर्कर गंभीर रूप से घायल हो गये हैं, जिन्हें इलाज के लिये श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SKIMS) रेफर किया गया है.
टनल की सुरक्षा पर उठे सवाल
इस हमले के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि इतनी अहम टनल के निर्माण के लिए यहां सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं था? क्योंकि जिस तरह से आतंकी आए और फिर वारदात को अंजाम देकर लौट गए, उसे सुरक्षा में चूक ही माना जाएगा. अ अभी तक सुरक्षाबलों ने इसे लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई है.
कौन है आतंकी संगठन TRF
यह हमला आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है जिसे लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा माना जाता है. ये आतंकी संगठन 2019 में वजूद में आया था. गृह मंत्रालय इस पर प्रतिबंध भी लगा चुकी है. टीआरएफ हाफिज सईद के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ है. टीआरएफ कश्मीर में कई बड़ी आतंकी वारदातों को अंजाम दे चुका है और अक्सर प्रवासियों को निशाना बनाते रहा है.
क्या है जेड मोड प्रोजक्ट, जिसे बनाया गया निशाना
हमला किए गए डॉक्टर और श्रमिक ज़ेड-मोड़ टनल पर काम कर रहे निर्माण दल का हिस्सा थे, जो मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले में गगनेर को सोनमर्ग से जोड़ती है. 2680 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हो रही 6.5 किलोमीटर लंबी जेड-मोड़ टनल का निर्माण कार्य लगभग पूरा होने वाला है. यह टनल श्रीनगर और सोनमर्ग के बीच बनाई जा रही है. यह टन932 गगनगीर के पास हिमस्खलन प्रभावित क्षेत्र को बायपास करेगी. इसका उद्देश्य श्रीनगर और सोनमर्ग के बीच पूरे साल संपर्क प्रदान करना है. टनल के आकार की वजह से इसे Z-मोड़ कहा जाता है और इसमें दो लेन की सड़क बनाई जा रही है. टनल का उद्देश्य पर्यटक शहर सोनमर्ग को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करना है.
यह भी पढ़ें: जम्मू कश्मीर में सेना को बड़ी कामयाबी, पुंछ में 2 आतंकी गिरफ्तार, गोला-बारूद और ग्रेनेड भी बरामद
जेड-मोड़ टनल परियोजना के तहत, कुल 10.8 मीटर लंबाई वाली एक मुख्य टनल, कुल 7.5 मीटर लंबाई वाली संशोधित घोड़े के नाल के आकार वाली एस्केप टनल, कुल 8.3 मीटर लंबाई वाली डी-आकार वाली वेंटिलेशन टनल, कुल 110 मीटर व 270 मीटर लंबाई वाली दो बड़ी पुलिया और कुल 30 मीटर लंबाई वाली एक छोटी पुलिया का निर्माण प्रस्तावित है. जेड मोड़ टनल निर्माण कार्य करीब अंतिम चरण में है.
जेड-मोड़ टनल का इलाका रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके निर्माण से श्रीनगर और कारगिल के बीच निर्बाध संपर्क सुनिश्चित होगा और श्रीनगर एवं लेह के बीच की यात्रा में लगने वाले समय में भी काफी कमी आएगी.
एप्को कंपनी बना रही है टनल
इस टनल का निर्माण उत्तर प्रदेश की एप्को नामक कंस्ट्रक्शन कंपनी कर रही है. एप्को का मुख्यालय लखनऊ में है. इसके मालिक अनिल सिंह हैं. यह कंपनी उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, बेंगलुरु चेन्नई महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में सड़क, परिवहन, सिंचाई परियोजनाएं को सफलतापूर्वक पूरा कर चुकी है जिसमें देश का पहला 14-लेन एक्सप्रेसवे (दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे) शामिल है, इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में प्रतिष्ठित जेड मोड़ सुरंग परियोजना, मुंबई में केबल स्टे ब्रिज और दिल्ली/एनसीआर में एलिवेटेड वायाडक्ट मेट्रो परियोजना सहित अन्य प्रमुख परियोजनाएं भी शामिल हैं. इसके अलावा 2022 में मुंबई में 9,000 करोड़ रुपये की वर्सोवा-बांद्रा सी-लिंक परियोजना का निर्माण कार्य भी इसी कंपनी ने पूरा किया था.