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झारखंड

झारखंड: विकलांग पेंशन रुकी, आवास नहीं मिला, पत्नी के साथ शौचालय में रहने को मजबूर दिव्यांग शख्स

सत्यजीत कुमार/देवाशीष भारती/मुकेश कुमार सोनी
  • जामताड़ा,
  • 22 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 4:16 PM IST
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झारखंड के जामताड़ा से शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आई है. जहां पर एक पति पत्नी को शौचालय में अपना जीवन गुजारना पड़ रहा है. सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना के बावजूद जरूरतमंदों से घर नहीं मिल पा रहा है. जिसकी वजह से लोगों को शौचालय में रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. इसके अलावा गुमला जिला के घाघर प्रखंड के रहने वाले एक गरीब किसान पिछले पांच सालों से पेड़ के नीचे रहने के लिए मजबूर है. 

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भूतनाथ और उसकी पत्नी अनहेला घोष के पास रहने के लिए घर नहीं है. काफी कोशिशों के बावजूद इन्हें सरकार की तरफ से कोई घर नहीं मिला सका है. जिसकी वजह से पति-पत्नी को शौचालयों में रहने के होना पड़ा है. यह मामला कुंडहित प्रखंड क्षेत्र के नाटूलतला गांव की है. 

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स्वच्छ भारत मिशन के तहत इन शौचालयों का निर्णाम किया गया था. पर अब इनमें गरीब और बेसहारा लोग अपनी जिंदगी बिता रहे हैं. भूतनाथ को दिखाई नहीं देता और उनकी पत्नी की एकमात्र सहारा है किसी तरह से मेहनत मजदूरी करके उनका गुजारा चल रहा है. 

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भूतनाथ को पहले विकलांग पेंशन मिलती थी लेकिन अब वो भी बंद हो गई है. वहीं इस मामले पर उप मुखिया निखिल मांझी का कहना है कि भूतनाथ घोष को सरकारी आवास और पेंशन प्राथमिकता से मिलनी चाहिए क्योंकि वो दिव्यांग है इसके लिए कोशिशें जारी हैं. 

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वहीं इस मामले पर कुंडहित के बीडीओ मरांडी ने कहा कि ऐसे लोगों का प्रधानमंत्री आवास नहीं बनना काफी दुखद है. हम पता लगा रहे हैं टीम से कहां गलती हुई है. मैं खुद वहां जाकर जांच करूंगा और इन्हें जल्द से जल्द प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर और पेंशन दिलाने की पूरी कोशिश रहेगी. 

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कुछ ऐसा ही हाल गुमला जिला के घाघर प्रखंड के रहने वाले एक गरीब किसान अगापित केरकेटा का है. जो पिछले पांच सालों से पेड़ के नीचे रह रहे हैं. आगपित केरकेटा का घर जमीन में धंस गया था. जिसकी वजह से उन्हें पेड़ के नीचे रहने के लिए मजबूर होना पड़ा.  

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गरीब किसान के पास घर बनाने के लिए पैसे नहीं है इसलिए गर्मी, सर्दी और बरसात के समय अगापति केरकटा को हर हाल में पेड़ के नीचे बने छोटे से घर में रहने के लिए मजबूर है. प्रधानमंत्री आवास के तहत उन्होंने घर लेने की काफी कोशिशें की पर उन्हें कुछ हासिल नहीं हो सका.  

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अगापित केरकेटा का कहना है कि सरकारी बाबूओं की वजह से उन्हें अब तक घर नहीं मिल पाया है. उसके दो बेटे हैं,  जो गांव के बाहर मजदूरी करते हैं और बड़ी मुश्किल से उनका गुजारा हो पाता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि बिमरला पंचायत अति नक्सल प्रभावित इलाका है. जिसकी वजह से यहां पर सरकारी योजना नहीं पहुंच पाती हैं. गांव वालों ने कई बार प्रखंड मुख्यालय से प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ की बता कही पर अब तक इनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. 

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