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झारखंड में है 1400 किलो सोने की दुर्लभ मूर्ति

बताया जाता है कि रानी इस प्रतिमा को अपने किले में स्थापित करना चाहती थीं, परंतु किले के मुख्य द्वार पर हाथी बैठ गया और लाख प्रयास के बाद भी वह यहां से नहीं उठा. रानी ने उसी स्थान पर प्रतिमा स्थापित कर मंदिर बनवाया. जियोलॉजिकल विभाग के सर्वे में इस मूर्ति की मार्केट वैल्यू ढाई हजार करोड़ रुपए से अधिक आंकी गई.

झारखंड झारखंड
प्रियंका झा/धरमबीर सिन्हा
  • रांची,
  • 26 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 3:44 AM IST

झारखंड के गढ़वा जिले के नगरऊंटारी में बाबा बंशीधर मंदिर है. यहां राधा-कृष्‍ण की 1400 किलो सोने की दुर्लभ मूर्ति है. इस मूर्ति की कीमत करीब 2500 करोड़ रुपए आंकी गई है. किवदंतियो के मुताबिक इस प्रतिमा को हाथी पर रख कर एक रानी अपने किले लेकर जा रही थी. लेकिन हाथी किले के मुख्य द्वार पर बैठ गया और लाख कोशिशों के बाद भी टस से मस नहीं हुआ. आखिर हार कर रानी ने उसी स्थान पर प्रतिमा स्थापित कर मंदिर बनवा दिया. आज जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर मंदिर में मेला लगा हुआ है जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटकर भगवान कृष्ण का जन्मदिन मना रहे हैं.

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रानी ने सपने में देखी थी मूर्ति
मंदिर के प्रस्तर लेखों में वर्णन है की विक्रम संवत 1885 में नगरऊंटारी के महाराज भवानी सिंह थे. उनकी रानी शिवमानी कुंवर भगवान कृष्ण की बड़ी भक्त थी और इस प्रतिमा को उन्होंने ही सपने में देखा था. पौराणिक कथाओं के अनुसार रानी ने एक बार जन्माष्टमी की और उसी रात भगवान ने उन्हें सपने में दर्शन दिए. सपने में ही भगवान ने कहा कि कनहर नदी के किनारे शिवपहरी पहाड़ी में उनकी प्रतिमा जमीन के नीचे दबी पड़ी है, उसे ले आओ. इस सपने के बाद सुबह रानी अपनी सेना के साथ उस पहाड़ी पर गईं और पूजा-अर्चना के बाद उनके बताई गई स्थान पर खुदाई की. खुदाई के दौरान रानी को बंशीधर की ये प्रतिमा मिली. इस प्रतिमा को हाथी पर रखकर नगरऊंटारी लाया गया.

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बेशकीमती मूर्ति की हिफाजत के लिए नहीं है खास सुरक्षा के इंतजाम
बताया जाता है कि रानी इस प्रतिमा को अपने किले में स्थापित करना चाहती थीं, परंतु किले के मुख्य द्वार पर हाथी बैठ गया और लाख प्रयास के बाद भी वह यहां से नहीं उठा. रानी ने उसी स्थान पर प्रतिमा स्थापित कर मंदिर बनवाया. जियोलॉजिकल विभाग के सर्वे में इस मूर्ति की मार्केट वैल्यू ढाई हजार करोड़ रुपए से अधिक आंकी गई. लेकिन हैरत इस बात की है की नक्‍सलियों के असर वाले इस मंदिर में सैकड़ों वर्ष पुरानी राधा-कृष्ण की बेशकीमती मूर्ति की हिफाजत के लिए खास सुरक्षा के इंतजाम नहीं है.

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