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आधार सीडिंग से रुका स्कूलों में नामांकन फर्जीवाड़ा

झारखंड सरकार के सभी प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की आधार सीडिंग करवाने की पहल से इन स्कूलों में पढने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या में करीब ढाई लाख की कमी आ गई है. ऐसा नहीं है कि सरकारी स्कूलों में नामांकन कम हुआ है. दरअसल, ऐसा सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की आधार सीडिंग यानी आधार नंबर से लिंक कराने से हुआ है.

आधार आधार
धरमबीर सिन्हा
  • रांची,
  • 18 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 4:15 PM IST

झारखंड सरकार के सभी प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की आधार सीडिंग करवाने की पहल से इन स्कूलों में पढने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या में करीब ढाई लाख की कमी आ गई है. ऐसा नहीं है कि सरकारी स्कूलों में नामांकन कम हुआ है. दरअसल, ऐसा सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की आधार सीडिंग यानी आधार नंबर से लिंक कराने से हुआ है. राज्य सरकार ने एक योजना चलाकर राज्य के सभी सरकारी स्कूलों के बच्चों की पहली बार आधार से लिंक कराने का काम शुरू किया है. इस वजह से जहां डुप्लीकेसी कम हुई, वहीं फर्जी नामांकन पर रोक लग गयी है.

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मिड-डे मील के बजट बनाने के समय हुआ खुलासा
इस बात का खुलासा उस वक़्त हुआ, जब सभी जिलों के स्कूलों से 2016-17 में हुए नामांकन की रिपोर्ट मांगी गई, ताकि मिड-डे मील योजना का बजट बनाया जा सके. नामांकन रिपोर्ट से यह बात सामने आई कि इस वित्तीय वर्ष में 40 हजार प्राइमरी व अपर प्राइमरी स्कूलों में करीब 48 लाख बच्चों का नामांकन हुआ. जबकि इससे ठीक पहले साल 2015-16 में प्राइमरी स्कूलों के 35 लाख 35 हजार 491 छात्र समेत कुल 50 लाख 42 हजार 957 छात्र नामांकित थे. इस तरह इस साल बच्चों की संख्या में करीब ढाई लाख की कमी आ गई.

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के अनुसार सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए कई छात्र एक से अधिक स्कूलों में नामांकन ले लेते थे. वहीं, कुछ स्कूलों में फर्जी नामांकन भी दिखाया जाता था. ऐसे में सभी बच्चों को आधार से लिंक किए जाने से इस पर रोक लग गई है. विभाग के मुताबिक शत-प्रतिशत आधार सीडिंग होने से फर्जीवाड़े और डुप्लीकेसी में और भी कमी आएगी.

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अब तक 70 फीसदी बच्चों की हुई है आधार सीडिंग
राज्य के चालीस हजार स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों में से करीब 90 फीसदी बच्चों का आधार कार्ड बन गया है, जिसमें से करीब 70 फीसदी बच्चों की आधार सीडिंग का कार्य भी पूरा हो गया है. साथ ही करीब 75 फीसदी बच्चों का बैंक खाता भी खुल गया है. झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद् ने तमाम योजनाओं को डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर यानी डीबीटी से जोड़ने का निर्णय लिया है. इसके तहत सारी राशि बच्चों के बैंक खाते में सीधे जा रही है.

केंद्र ने भी की सराहना
केंद्र सरकार ने भी मिड-डे मील योजना की प्रोग्राम एप्रूवल बोर्ड की बैठक में छात्रों के आधार से लिंक किए जाने की सराहना की है. बीते 10 मार्च को हुई इस बैठक में राज्य के स्कूलों में गठित बाल संसद और शिक्षकों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर प्रोत्साहित करने के लिए गठित 'परिवर्तन दल' की भी सराहना हुई. केंद्र ने राज्य सरकार से 'परिवर्तन दल' का कांसेप्ट नोट मांगा है,ताकि इसे दूसरे राज्यों में भी लागू करने का निर्देश दिया जा सके.

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