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CNT एक्ट के खिलाफ रांची में निकाली गई आदिवासी आक्रोश रैली, सरकार को दी चेतावनी

आदिवासी संघर्ष मोर्चा ने सरकार की कथित आदिवासी विरोधी नीतियों की वजह से 24 अक्टूबर को झारखंड बंद का आह्वान किया है. दरअसल, बीते दिनों सरकार ने एक अध्यादेश लाकर राज्य में अंग्रेजों के जमाने चली आ रही सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन किया था. यह अध्यादेश फिलहाल मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास लंबित है.

प्रदर्शनकारियों ने सरकार को सौंपा मांग पत्र प्रदर्शनकारियों ने सरकार को सौंपा मांग पत्र
अंजलि कर्मकार/धरमबीर सिन्हा
  • रांची,
  • 23 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 12:44 AM IST

आदिवासी संघर्ष मोर्चा के बैनर तले शनिवार को रांची में आदिवासी आक्रोश महारैली का स्थानीय मोरहाबादी मैदान में आयोजन किया गया. इस रैली का उद्देश्य राज्य में लागू सीएनटी-एसपीटी एक्ट में हो रहे छेड़छाड़ का विरोध दर्ज कराना था. इस दौरान मोर्चा की सदस्य दयामनी बारला ने सरकार को आदिवासियों के अधिकारों का हनन नहीं करने की चेतावनी दी.

उन्होंने कहा कि अगर सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के लिए जारी अध्यादेश वापस नहीं लिया गया, तो राज्य के आदिवासी सड़कों पर उतरेंगे. महारैली में मोर्चा बैनर तले 40 आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ जेवीएम के सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी और पूर्व मंत्री बंधू तिर्की, देवकुमार धान भी शामिल हुए.

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सरकार को सौंपा मांग पत्र
रैली के बाद मोर्चा के सदस्यों ने एक आठ सूत्री मांग-पत्र सरकार को सौंपा. इसमें सीएनटी-एसपीटी एक्ट संशोधन अध्यादेश 2016 को वापस लेने, सरकार की ओर से जारी स्थानीय नीति में संशोधन करने, जमाबंदी रद्द करने का आदेश वापस लेने, दखल-दिहानी से संबंधित कोर्ट के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने, वन अधिकार के लिए दावेदारों की ओर से किए दावे के अनुसार पट्टा निर्गत करने, पेसा कानून 1996 को लागू करने, सरना धर्म कोड लागू करने और अनुसूचित जाति व जनजाति आवासीय विद्यालयों को गैर सरकारी संस्थाओं को देने का फैसला वापस लेने की मांग शामिल है.

झारखंड बंद का आह्वान
आदिवासी संघर्ष मोर्चा ने सरकार की कथित आदिवासी विरोधी नीतियों की वजह से 24 अक्टूबर को झारखंड बंद का आह्वान किया है. दरअसल, बीते दिनों सरकार ने एक अध्यादेश लाकर राज्य में अंग्रेजों के जमाने चली आ रही सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन किया था. यह अध्यादेश फिलहाल मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास लंबित है.

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क्या है सीएनटी?
सीएनटी यानी छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 दरअसल छोटानागपुर और संथालपरगना में आदिवासी जमीन के अवैध तरीके से हो रहे खरीद फरोख्त को रोकने के लिए अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था. हालांकि, समय-समय पर इसमें संशोधन होते रहे हैं. यह एक्ट संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल है और यह ज्यूडिशल रिव्यू से बाहर है. सीएनटी एक्ट की धारा-46 के मुताबिक राज्य के छोटानागपुर और पलामू डिविजंस में एसटी/एससी या ओबीसी की जमीन सामान्य लोग नहीं खरीद सकते. वहीं, इन जातियों के लोगों पर भी बिना उपायुक्त की अनुमति के अपने ही लोगों को जमीन हस्तांतरित करने या बेचने पर पाबंदी है.

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