
झारखंड में देवघर में महीनेभर चलने वाले श्रावणी मेले पर एक बार फिर कोरोना का ग्रहण लगने जा रहा है. ऐसी संभावना है कि प्रसिद्ध श्रावणी मेले को एक बार फिर टाल दिया जाएगा. सावन का महीना शुरू होने में अब लगभग एक सप्ताह का समय बाकी रह गया है, लेकिन कोरोना की वजह से अभी तक मेला के आयोजन को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है.
सरकार के स्तर से भी अभी तक कोई निर्णय नहीं होने की वजह से संशय की स्थिति बरकरार है. हाल में ही सर्वोच्च न्यायालय ने भी सरकार से कांवड़ यात्रा को लेकर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश जारी किया था. मेला स्थगित करने के सरकार के निर्णय से पहले झारखंड पुलिस कांवड़ियों को झारखंड प्रवेश से ही रोक देगी.
पुलिस मुख्यालय से देवघर के कांवड़िया पथ स्थित झारखंड प्रवेश द्वार पर पुलिस बल की भारी संख्या में तैनाती की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. बीते साल भी बिहार के सुल्तानगंज से आने वाले कांवड़ियों के जत्थे को झारखंड प्रवेश द्वार पर रोकने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई थी. बिहार से आने वाले वाहनों पर भी कड़ी नजर रखने की तैयारी की जा रही है.
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मंदिर मार्ग से मुख्यालय तक तैनात होंगे 1,000 से ज्यादा जवान
कोरोना प्रतिबंधों की वजह से देवघर मंदिर और इसके आसपास के क्षेत्रों में भीड़ इकट्ठी न होने पाए, इसके लिए 1000 की संख्या में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की जा रही है. सुरक्षा सहित कोरोना नियमों की कड़ाई से पालन करवाने के लिए पुलिस मौजूद रहेगी.
सूना पड़ा कांवड़ पथ
लगातार दूसरे साल श्रावणी मेला का आयोजन नहीं होने की संभावना के चलते देवघर के कांवड़िया पथ पर भी वीरानी छाई हुई है. आम तौर पर श्रावणी मेला शुरू होने के एक माह पहले से यहां के कांवड़िया पथ पर दुकानें सजने लगती थीं और सरकार के स्तर से भी तैयारी शुरू हो जाती थी. अभी तक देवघर के कांवड़िया पथ पर सन्नाटा पसरा हुआ है. लंबे समय से श्रद्धालुओं के लिए मंदिर बंद रहने से स्थानीय पुरोहितों सहित व्यवसायियों में भी काफी निराशा है.
इलाके की अर्थव्यवस्था का सहारा है श्रावणी मेला!
एक माह तक चलने वाला श्रावणी मेला यहां के लोगों की रोजी-रोटी का मुख्य आधार माना जाता है. बिहार के सुल्तानगंज से बाबाधाम, देवघर और दुमका जिला के बासुकीनाथ धाम तक इस वार्षिक मेला का आयोजन होता है. हर साल सिर्फ श्रावणी मेला के दौरान 35 से 40 लाख श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. इस दौरान अरबों का कारोबार होता है, जो हजारों लोगों की रोजी-रोटी का आधार होता है.
व्यापारी, पुरिहितों का हाल बेहाल!
पिछले वर्ष भी कोरोना के चलते मेला का आयोजन नहीं हो पाया था, इस बार फिर से मेला स्थगित रहने की संभावना ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. ऐसे में स्थानीय पुरोहितों, व्यवसायियों और आम लोगों में निराशा है. देवघर के पंड धर्मरक्षिणी सभा के महामंत्री कार्तिक नाथ ठाकुर भी कोरोना प्रोटोकॉल में किसी तरह की ढिलाई के पक्ष में नहीं हैं. लगातार दूसरे वर्ष मेला नहीं लगने से स्थानीय व्यवसायियों को कठिन आर्थिक दौर से गुजरना पड़ रहा है,ऐसे में उनके द्वारा सरकार से आर्थिक पैकेज की मांग की जा रही है.
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