
वैश्विक महामारी कोरोना को देखते हुए बोकारो जिला प्रशासन ने एक अहम निर्णय लिया है. कोरोना वायरस के फैलाव से बचाव एवं उचित स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए बोकारो उपायुक्त राजेश सिंह ने आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की विभिन्न धाराओं के तहत प्रदत शक्तियों का प्रयोग करते हुए तत्काल प्रभाव से सभी प्रकार के हड़ताल, धरना, जुलूस, प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया है. प्रशासन का कहना है कि सभी प्रकार के कृत्य जो धारा 144 के उल्लंघन के अंतर्गत आते हैं उन पर सख्ती रहेगी.
आदेश के उल्लंघन की स्थिति में व्यक्ति/संगठनों/संस्थानों पर आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51 से 60 तथा आई.पी.सी. की धारा 180 के अंतर्गत कार्रवाई की जाएगी. यह आदेश अगले छह माह तक लागू रहेगा. बता दें कि रांची में चौबीस घंटे में 913 पॉजिटिव मामले मिले हैं. वहीं पूरे झारखण्ड में 4738 नए पॉजिटिव मामले सामने आए हैं. इसके अलावा 115 संक्रमितों की मौत की खबर है. इसके साथ ही झारखण्ड में कुल 244472 पॉजिटिव मामले हो चुके हैं. वहीं 58519 सक्रिय मामले हैं. इसके साथ ही 183009 लोग ठीक हो चुके हैं. राज्य में कुल मौत का आंकड़ा 2944 पहुंच गया है.
वहीं झारखंड स्टेट बार काउंसिल कार्यकारिणी की बैठक में एक बार फिर कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए वकीलों को न्यायिक कार्य से दूर रखने की अवधि में विस्तार कर दिया गया है. बैठक में हुए निर्णय के मुताबिक रांची समेत पूरे झारखंड में अगले 1 सप्ताह तक न्यायिक कार्यों में कोई भी अधिवक्ता शामिल नहीं होंगे.
25 अप्रैल को झारखंड स्टेट बार काउंसिल की रिव्यू मीटिंग में यह निर्णय लिया गया था कि 2 मई तक राज्य भर के अधिवक्ता किसी भी तरह के न्यायिक कार्य में हिस्सा नहीं लेंगे. झारखंड के सभी अधिवक्ता न तो एग्जीक्यूटिव कोर्ट और ना ही ज्यूडिशियल कोर्ट में उपस्थित होंगे. साथ ही कोई अन्य न्यायिक कार्य नहीं करेंगे.
काउंसिल की रिव्यू मीटिंग में 17 सदस्यों ने अपने अपने विचार रखे. जिसमें से 13 सदस्य इस फैसले का समर्थन किया तो वहीं 4 सदस्य फैसले से नाखुश दिखे. जबकि 13 सदस्यों ने मौजूदा स्थिति को देखते हुए इस निर्णय का समर्थन किया. अधिवक्ता अगले एक और सप्ताह तक न्यायिक कार्य से दूर रहें ताकि उनमें कोरोना के संक्रमण का खतरा कम हो सके. ये तमाम जानकारियां हाई कोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने दी. बार कॉउन्सिल द्वारा पत्र और निर्देश के पालन को वर्तमान परिस्थिति में वे और बाकी अधिवक्ता या वकील बेहद ज़रूरी मानते हैं.