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'CM के दबाव में सरफराज अहमद ने दिया इस्तीफा...', हेमंत सोरेन पर निशाना साधते हुए बोले BJP नेता बाबूलाल मरांडी

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने मंगलवार को राजभवन पहुंचकर राज्यपाल से गांडेय विधानसभा उपचुनाव कराए जाने की स्थिति को लेकर चर्चा की. उन्होंने कहा कि सत्ताधारी गठबंधन राज्य की जनता और चुनाव आयोग दिग्भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं.

बाबूलाल मरांडी ने CM सोरेन पर साधा निशाना. (फाइल फोटो) बाबूलाल मरांडी ने CM सोरेन पर साधा निशाना. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • रांची,
  • 09 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 8:26 PM IST

भूमि घोटाला मामले में ईडी की लगातार कार्रवाई के बाद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ा दी है. अब इस पूरे घटनाक्रम को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल से गांडेय विधानसभा उपचुनाव कराए जाने की स्थिति को लेकर चर्चा की.

मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सत्तापक्ष के एक विधायक जो गांडेय विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दबाव में सीट से इस्तीफा दे दिया.

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'सरफराज अहमद ने दवाब में दिया इस्तीफा'

मरांडी ने कहा कि डॉ. सरफराज अहमद पूरी तरह स्वस्थ हैं, वे देश से बाहर भी नहीं जा रहे. ऐसे में उनका इस्तीफा अकारण नहीं हुआ, बल्कि मुख्यमंत्री अपनी जेल यात्रा के पूर्व लालू प्रसाद की तर्ज पर अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया हवाला

उन्होंने कहा कि झारखंड में गांडेय के विधायक द्वारा दिए गए इस्तीफे के तहत उपचुनाव नहीं कराया जा सकता है. सेक्शन 151ए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत अगर सामान्य चुनाव में एक साल के कम का समय शेष हो तो उपचुनाव नहीं कराए जा सकते.

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने निर्णय (प्रमोद लक्ष्मण गुढ़ाधे बनाम भारत निर्वाचन आयोग) में ये स्पष्ट किया था कि अगर सामान्य चुनाव एक साल के अंदर होना हो तो उपचुनाव नहीं कराए जा सकते. 8 जनवरी 2024, को माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश, जिसमें एक साल की अवधि से कम समय रहने पर भी उपचुनाव कराने का आदेश दिया गया था, उसपर रोक लगा दी गई है.

झारखंड में विधानसभा चुनाव दिसंबर 2024 में होने हैं. सितंबर-अक्टूबर से प्रक्रिया शुरू हो जाती है. अतः सेक्शन 151ए, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आलोक में उपचुनाव नहीं कराए जा सकते.

उन्होंने कहा कि जिस दिन विधानसभा क्षेत्र के नियुक्त रिटर्निंग ऑफिसर चुनाव आयोग को विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित करके यह बता देता है कि किस दल से और कितने निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए हैं. वहीं, तिथि विधायक के निर्वाचन की मानी जाती है. सरकार का गठन, विधानसभा सत्र कुछ दिन बाद हुआ. इससे उसका कुछ लेना देना नहीं है.

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आयोग को दिग्भ्रमित कर रहे हैं सीएम: BJP नेता

पूर्व मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि राज्य के सत्ताधारी गठबंधन राज्य की जनता और चुनाव आयोग दिग्भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने महामहिम राज्यपाल से उनके द्वारा भेजे गए पत्र को चुनाव आयोग को प्रेषित करने का अनुरोध भी किया है.

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