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झारखंड: कोरोना ने छीनी जिंदगी, अंतिम संस्कार पर शवदाह गृह के बाहर हंगामा

शवदाह गृह के बाहर रविवार सुबह करीब 200 लोग पहुंचे और हंगामा कर दिया. इनका विरोध इस बात पर था कि किसी कोरोना मृतक का यहां अंतिम संस्कार नहीं किया जाना चाहिए. रविवार को ही रिम्स में कोरोना मरीज की मौत हो गई थी. हंगामा खड़ा होता देख एसपी ट्रैफिक को वहां आना पड़ा और उन्होंने खुद मोर्चा संभाला.

अंतिस संस्कार की फाइल फोटो (PTI) अंतिस संस्कार की फाइल फोटो (PTI)
सत्यजीत कुमार
  • रांची,
  • 13 अप्रैल 2020,
  • अपडेटेड 10:44 AM IST

  • कोरोना मृतक के अंतिम संस्कार पर विरोध
  • एसडीए, डीएम ने मौके पर पहुंच कर समझाया

झारखंड में कोरोना महामारी के बीच एक नई समस्या सामने आई है. जो लोग इस वायरस की चपेट में आकर जान गंवा चुके हैं, उनके अंतिम संस्कार में मुश्किलें खड़ी हो रही हैं. ताजा घटना स्थानीय रातू रोड के शवदाह गृह की है. यहां एक शव के अंतिम संस्कार को लेकर हंगामा हो गया, जिससे मृतक के परिजन चिंता में तो पड़ गए. कोरोना पीड़ित का शव जलाने को लेकर शवदाह गृह के बाहर कई लोगों ने हंगामा किया और सोशल डिस्टेंसिंग जस के तस धरे रह गए.

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शवदाह गृह के बाहर हंगामा कर विरोध

रातू रोड रांची का स्थानीय इलाका है जहां यह शवदाह गृह है. रविवार सुबह करीब 200 लोग यहां पहुंचे और बाहर हंगामा खड़ा कर दिया. इनका विरोध इस बात पर था कि किसी कोरोना मृतक का यहां अंतिम संस्कार नहीं किया जाना चाहिए. रविवार को ही रिम्स में कोरोना मरीज की मौत हो गई थी.

बाद में हंगामा खड़ा होता देख एसपी ट्रैफिक को वहां आना पड़ा और उन्होंने खुद मोर्चा संभाला. लाउड स्पीकर पर उन्होंने ऐलान किया कि स्थानीय लोगों की राय लिए बिना अंतिम संस्कार की अनुमति नहीं दी जाएगी. उनकी अपील पर विरोध प्रदर्शन करने वाले लोग बाद में लौट गए.

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विरोध करने वाले लोगों का कहना था कि शवदाह गृह शहर के बीचोबीच स्थित है और अगर वहां मृतक का अंतिम संस्कार किया जाता है तो लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है. इनका तर्क था कि शवदाह गृह में पलने वाले चूहे मृतक का संक्रमण स्थानीय लोगों के घरों तक ले जा सकते हैं. उनका यह भी कहना था कि पानी का कनेक्शन उधर से गुजरता है, लिहाजा संक्रमण उससे भी फैल सकता है.

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यह मामला निपटाने के लिए एसडीएम, एसएसपी और कई प्रशासनिक अधिकारियों को वहां आना पड़ा. इन अधिकारियों को लगा कि कोरोना मृतक का अंतिम संस्कार इस पूरे इलाके में नया बखेड़ा खड़ा कर सकता है. जबकि दूसरी ओर मृतक के परिजन इस बात से परेशान दिखे कि आखिर अंतिम संस्कार कहां पूरा किया जाए. बता दें, बात सिर्फ रांची की नहीं है, बल्कि हर जगह ऐसे परिवारों को दोतरफा परेशानी से जूझना पड़ रहा है. एक तो उनके अपने चले गए हैं जबकि दूसरी ओर समाज में लोग उन्हें गलत नजरों से देखते हैं. (रांची से मृत्युंजय श्रीवास्तव का इनपुट)

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