
झारखंड में कोरोना वायरस की तीसरी लहर अगले 6 से 8 सप्ताह के अंदर आ सकती है, ऐसा विशेषज्ञों ने अनुमान जताया है. कोविड की आशंका पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि हमें कोरोना गाइडलाइन का सख्ती से पालन करना होगा. कोविड-19 से बचाव के लिए वैक्सीन लें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें.
सीएम हेमंत सोरेन ने ट्विटर पर लिखा है, 'साथियों, आज भले अपने राज्य में संक्रमित मरीजों की संख्या पूरे देश में सबसे कम है, भले ही हमारी रिकवरी 98 फीसदी से ज्यादा है, पर खतरा अभी टला नहीं है. विशेषज्ञों के अनुसार 6-8 सप्ताह में तीसरी लहर हमें परेशान कर सकती है. राज्य सरकार ने तीसरे लहर से लड़ाई के लिए तैयारियां पुख्ता कर ली है. लेकिन आप सब के सहयोग के बिना यह संभव नहीं होगा.'
उन्होंने अपील की कि लॉकडाउन में भले ही छूट दी गई है लेकिन कोरोना के गाइडलाइन का पालन पूरी सख्ती एवं मुस्तैदी से खुद भी करें और दूसरों को भी समझाएं. वैक्सीन की उपलब्धता के अनुसार हम तेजी से वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया पर भी कार्य कर रहे हैं. वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है. इसलिए आप पूरी तरह से निश्चिंत हो कर लगाएं.
झारखंड: डेढ़ साल की बच्ची के साथ उफनती नदी को पार कर बच्चों को टीका देने जाती है ये महिला
झारखंड में क्यों तेजी से फैला संक्रमण?
झारखंड में डेल्टा, कप्पा, और अल्फा वैरिएंट की वजह से कोरोना की तीव्रता इतनी ज्यादा थी. ओडिशा में जो सैंपल भेजे गए थे, उनमें यह खुलासा हुआ है. झारखंड में कोरोना की दूसरी लहर की तीव्रता बेहद मारक थी. नोबल कोरोना वायरस का म्युटेंट वायरस, झारखंड में हुई सबसे ज्यादा मौतों के लिए जिम्मेदार था.
पूर्वी सिंहभूम, रांची, धनबाद, हजारीबाग और पलामू से सैंपल जांच के लिए आईएलएस भुवनेश्वर भेजे गए थे. 364 सैंपल में से 328 सैंपल वैरिएंट म्युटेशन कंसेंट मिले हैं. 364 सैंपल में से 328 में SARS-COV-2 के म्युटेंट वायरस मिले हैं. इनमें से 204 में डेल्टा वैरियंट, 63 में कप्पा वैरियंट, 29 में अल्फा वैरियंट था.
कौन सा वैरिएंट कितना खतरनाक?
1. डेल्टा वैरिएंट (Delta Variant)- तेजी से लोगों को संक्रमित करता है और रेसिस्टेंट अधिक होते हैं.
2. कप्पा वैरिएंट (Kappa Variant)- अन्य के मुकाबले ज्यादा तेजी से लोगों को संक्रमित करता है और तेजी से फैलता है.
3. अल्फा वैरिएंट (Alpha Variant)- सामान्य नॉवेल कोरोना वायरस की अपेक्षा तेजी से स्प्रेड होता है.
अप्रैल-मई में दिखा कोविड का खतरनाक रूप
झारखंड में फिलहाल भले ही कोरोना नियंत्रमण में हो, राज्य में एक्टिव केसों की संख्या महज 1,596 हो, लेकिन अप्रैल और मई महीने में लोगों ने कोरोना की दूसरी लहर के घातक रूप को देखा है. इन 2 महीनों में ही दो लाख से ज्यादा लोग जहां कोरोना संक्रमित हो गए. वहीं 3900 के करीब लोगों को जान गंवानी पड़ी.
मेडिकल कर्मियों का उपाधीक्षक कार्यालय में हंगामा
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान रिम्स कोविड-19 अस्पताल में सेवा देने के लिए अनुबंध पर बहाल किए गए नर्सों और मेडिकलकर्मियों ने ड्यूटी से हटाए जाने के विरोध में उपाधीक्षक कार्यालय के पास जमकर हंगामा किया, जिसके बाद सभी धरने पर बैठ गए. आंदोलित कर्मचारियों का आरोप है कि कोरोना के दौरान सेवा ली गई और 3 महीने के अनुबंध अवधि के बीच में ड्यूटी से हटाया जा रहा है.
झारखंड: क्यों अनूठा है ताना भगत समुदाय? दोनों लहरों में नहीं आया एक भी कोरोना मामला
अनुबंध कर्मियों ने बताया कि उन लोगों को टीएनएम कंपनी ने 4 मई को 3 महीने के लिए अनुबंध पर रिम्स में सेवा देने के लिए बहाल किया था. कंपनी ने रिम्स की मिलीभगत से बाद में जिन लोगों को अनुबंध पर बहाल किया था, उनकी नौकरी बची रह गई और जो लोग पहले से कोविड-19 में सेवा दे रहे थे, उनको यह कह कर हटा दिया गया कि अब उनकी जरूरत नहीं है क्योंकि कोरोना अब कमांड में है. आंदोलन कर रहे 115 शॉर्ट टर्म अनुबंधकर्मियों का आरोप है कि जब कोरोना जैसी विकट स्थिति में उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर रोगियों की सेवा की है, तब अनुबंध की बीच की अवधि में उन्हें क्यों हटाया जा रहा है.
यह भी पढ़ें-