
झारखंड के रामगढ़ जिले में राधाकृष्ण मंदिर के पुजारी सीताराम मिश्रा की कोरोना वायरस से संक्रमण के कारण मौत हो गई थी. पुजारी सीताराम मिश्रा का शव इफको के जंगल में जेसीबी से गड्ढा खुदवा दफना दिया गया था. पुजारी का शव दफनाए जाने के खिलाफ हिंदूवादी संगठनों ने जिला प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. हिंदूवादी संगठन ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और जिलाधिकारी को पत्र लिखकर पुजारी सीताराम मिश्रा की अंत्येष्टि हिंदू रीति से कराने की मांग की थी.
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दाह संस्कार नहीं कराए जाने की स्थिति में हिंदूवादी संगठन ने आंदोलन की चेतावनी दी थी. हिंदूवादी संगठन की ओर से आंदोलन की धमकी के सामने झुके प्रशासन 6 अगस्त को पुजारी सीताराम मिश्रा के परिजनों की मौजूदगी में पुतले का दाह संस्कार कराया.
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प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में उसी स्थल पर पुतले का दाह संस्कार कराया गया, जहां पुजारी सीताराम मिश्रा के शव को दफनाया गया था. दाह संस्कार करने पहुंचे प्रशासनिक अमले के लोग पीपीई किट में थे. इसे लेकर अब जिले में चर्चा का बाजार गर्म हो गया है. गौरतलब है कि यह मामला प्रशासनिक अधिकारियों के लिए गले की हड्डी बन गया था.
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हिंदूवादी संगठन पुजारी का दफनाया गया शव निकालकर हिंदू रीति से दाह संस्कार कराने की मांग पर अड़े थे. प्रशासन ने बीच का रास्ता निकालते हुए आनन-फानन में पुतले का दाह संस्कार कराया. बता दें कि 30 जुलाई को पुजारी की मौत के बाद 31 जुलाई को कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आई. सीताराम मिश्रा की मौत कोरोना वायरस से संक्रमण के कारण होने की पुष्टि के बाद जिला प्रशासन ने उनके परिजनों को क्वारनटीन कर दिया था.