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हेमंत सोरेन का बड़ा फैसला, 11 नवंबर को पेश किया जाएंगे खतियान और आरक्षण बढ़ाने वाले बिल

दिसंबर 2019 में चुनाव जीतने के बाद हेमंत सोरेन ने सरकार बनाई थी. उन्होंने अपने घोषणापत्र में जनता से कई वादे किए थे. अब 11 नवंबर को वह इन वादों में से दो को पूरा करने जा रहे हैं. दरअसल वह स्थानीयता और आरक्षण बढ़ाने वाले बिलों पर विधानसभा में बहस करने जा रहे हैं. विधानसभा में बिल पास होते ही उन्हें मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेज दिया जाएगा.

सीएम हेमंत सोरेन ने ट्विटर पर बिल पेश करने की जानकारी दी (फाइल फोटो) सीएम हेमंत सोरेन ने ट्विटर पर बिल पेश करने की जानकारी दी (फाइल फोटो)
अमित भारद्वाज
  • नई दिल्ली,
  • 05 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 5:30 PM IST

हेमंत सोरेन सरकार 11 नवंबर को 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता नीति का प्रस्ताव विधानसभा में पेश करेगी. यह बिल झारखंड के मूल निवासियों की परिभाषा तय करता है. इस बिल के तहत जो लोग 1932 तक झारखंड में आकर बस गए थे, उन्हें राज्य का मूल निवासी माना जाएगा.

वहीं सीएम हेमंत सोरेन ने ट्विटर पर इसकी जानकारी देते हुए लिखा- झारखंडवासियों के लिए 11 नवंबर एक बार फिर ऐतिहासिक दिन बनेगा. दो साल पहले 11 नवंबर के दिन सरना आदिवासी धर्म कोड पारित किया गया था. इस साल 11 नवंबर के दिन हम 1932 का खतियान आधारित स्थानीयता और ओबीसी, एसटी, एससी आरक्षण बढ़ाने वाला विधेयक विधानसभा से पारित कराएंगे.

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मालूम हो कि जब से चुनाव आयोग की वजह से झारखंड में राजनीतिक संकट खड़ा हुआ है और ईडी की कार्रवाई तेज हुई है तभी से झामुमो प्रमुख हेमंत सोरेन अपने सामाजिक आधार का विस्तार करने की कोशिश कर रहे हैं.

सोरेन ने घोषणापत्र में बिलों को किया था जिक्र

दिसंबर 2019 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद 1932 खतियान आधारित स्थानीयता बिल की मांग और एससी-एसटी-ओबीसी आरक्षण बढ़ाने जैसे मुद्दों को झामुमो ने ठंडे बस्ते में डाल दिया था. दोनों मुद्दों को झामुमो के घोषणापत्र में शामिल किया गया था. 

चुनाव आयोग द्वारा सोरेन को विधायक पद से अयोग्य घोषित करने की धमकी से झारखंड में राजनीतिक संकट खड़ा हो जाने के बाद हेमंत सोरेन और झामुमो ने दोनों मुद्दों पर फिर से सक्रिय होना शुरू कर दिया.

इन मुद्दों पर बहुत कमजोर है बीजेपी 

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चुनाव आयोग द्वारा सोरेन को विधायक पद से अयोग्य घोषित करने की धमकी से झारखंड में राजनीतिक संकट सामने आने के बाद हेमंत सोरेन और झामुमो ने दो मुद्दों पर आक्रामक होना शुरू कर दिया.

झारखंड में खतियान आधारित स्थानीयता नीति आदिवासियों के लिए एक भावनात्मक और विवादास्पद राजनीतिक मुद्दे बना हुआ है. अगर यह बिल पास हो जाता है तो झारखंड में देशी बनाम बाहरी की बहस छिड़ जाएगी. झारखंड में इन मुद्दों पर बीजेपी खुद को कमजोर पाती है.

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