
हेमंत सोरेन ने झारखंड के सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है. राज्यपाल ने उनके इस्तीफे को स्वीकार भी कर लिया है. वहीं चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता चुन लिया गया है, लेकिन उन्होंने अभी तक शपथ नहीं ली है. ऐसे में सवाल ये है कि क्या चंपई के शपथ लेने तक हेमंत सोरेन कार्यवाहक सीएम बने रहेंगे. इस पर संविधान विशेषज्ञ पीडीटी आचार्य ने कहा कि जब कोई मुख्यमंत्री इस्तीफा देते हैं और गवर्नर उनका इस्तीफा स्वीकार करते हैं तो गवर्नर मुख्यमंत्री से कहते हैं कि नए मुख्यमंत्री के शपथ लेने तक आप ही सीएम बने रहिए.
पीडीटी आचार्य ने कहा कि संविधान के मुताबिक ये पद खाली नहीं रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि भले ही हेमंत सोरेन को ईडी ने अरेस्ट कर लिया है, लेकिन वह कार्यवाहक सीएम बने रह सकते हैं. ये गवर्नर का फैसला होता है. जब तक इस पद पर कोई दूसरा सीएम नहीं बैठता, तब तक जो सीएम इस्तीफा देते हैं, वह कार्यवाहक सीएम रहेंगे.
राष्ट्रपति शासन लागू होता तो गवर्नर कर सकते हैं टेकओवर
संविधान विशेषज्ञ ने कहा कि अगर राष्ट्रपति शासन लागू होता है, तो गवर्नर टेकओवर कर सकते हैं. लेकिन राष्ट्रपति शासन नहीं है, तो गवर्नर को इस्तीफा देने वाले मुख्यमंत्री से कहना होगा कि वह नए सीएम के शपथ लेने तक कार्यवाहक सीएम रहें.
ईडी ने हेमंत सोरेन को रात 9:33 बजे किया अरेस्ट
झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के प्रमुख हेमंत सोरेन को बुधवार रात रांची के राजभवन में राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपने के कुछ मिनट बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार कर लिया. जांच एजेंसी द्वारा सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद रात 9:33 बजे हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया गया. सूत्रों ने बताया कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गुरुवार को अदालत में पेश किया जाएगा. जांच एजेंसी ईडी सोरेन की हिरासत की मांग करेगी और झामुमो प्रमुख के खिलाफ एकत्र किए गए सभी सबूत पेश करेगी.
चंपई सोरेन ने नई सरकार बनाने का दावा पेश किया
बता दें कि चंपई सोरेन ने 43 विधायकों के समर्थन के साथ नई सरकार बनाने का दावा राज्यपाल के सामने पेश किया है. चंपई सोरेन ने कहा कि हमारे पास 43 विधायकों का समर्थन है, उन्होंने मुझे अपना नेता चुना है. वहीं, झारखंड विधायक और कांग्रेस नेता दीपिका पांडे सिंह ने आरोप लगाया कि झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों का अपमान किया गया और उन्हें राजभवन छोड़ने के लिए कहा गया. हमें राजभवन द्वारा आमंत्रित किया गया था और राज्यपाल से मिलने का समय दिया गया था. जब हम पहुंचे, तो विधायकों को प्रवेश नहीं करने दिया गया और बाहर जाने के लिए कहा गया। राजभवन भाजपा के एजेंट के रूप में काम कर रहा है.