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'बदलती डेमोग्राफी मेरे लिए जीवन-मरण का सवाल', बोले असम के CM हिमंत बिस्वा सरमा

मुख्यमंत्री हिंमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि असम में, मुस्लिम आबादी 1951 में 12 प्रतिशत से बढ़कर आज 40 प्रतिशत हो गई है. हमने कई जिलों पर नियंत्रण खो दिया है. यह सिर्फ एक राजनीतिक मामला नहीं है मैं; यह मेरे लिए जीवन और मृत्यु का मामला है.

असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा. (ANI Photo) असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा. (ANI Photo)
aajtak.in
  • रांची,
  • 17 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 3:06 PM IST

असम के मुख्यमंत्री और भाजपा नेता हिमंत बिस्वा सरमा ने मुस्लिम आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि पर प्रकाश डालते हुए राज्य में जनसांख्यिकीय परिवर्तनों के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की है. सरमा ने कहा, 'बदलती जनसांख्यिकी मेरे लिए एक गंभीर मुद्दा है. असम में, मुस्लिम आबादी 1951 में 12 प्रतिशत से बढ़कर आज 40 प्रतिशत हो गई है. हमने कई जिलों पर नियंत्रण खो दिया है. यह सिर्फ एक राजनीतिक मामला नहीं है मैं; यह मेरे लिए जीवन और मृत्यु का मामला है.' वह झारखंड की राजधानी रांची में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे. बता दें कि हिमंता को बीजेपी ने झारखंड चुनाव के लिए सह-प्रभारी बनाया है. 

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सरमा ने घुसपैठ के मुद्दे की ओर भी इशारा किया और कहा कि घुसपैठिए झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ की ओर बढ़ने से पहले शुरू में असम और पश्चिम बंगाल में प्रवेश करते हैं. उन्होंने झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा राज्य सरकार को दिए गए एक निर्देश का हवाला दिया, जिसमें अवैध अप्रवासियों का पता लगाने और उन्हें निर्वासित करने का आदेश दिया गया था. हिंमंता बिस्वा सरमा ने इस बात पर जोर दिया कि इस कार्य को पूरा करना केंद्र सरकार की नहीं, बल्कि राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है.

उन्होंने अन्य राज्यों से इस मुद्दे के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने का आग्रह करते हुए कहा, 'मैं असम में इस मुद्दे को रोजाना संभालता हूं. अगर राज्य सरकारें अपनी जिम्मेदारियां नहीं निभा रही हैं और दिल्ली से हस्तक्षेप की उम्मीद करती हैं, तो उन्हें हट जाना चाहिए. हम यह जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं.' इससे पहले सरमा ने 1 जुलाई को, किसी भी समुदाय का उल्लेख किए बिना कहा था कि एक 'विशेष धर्म' के लोगों के एक वर्ग द्वारा आपराधिक गतिविधियां चिंता का विषय हैं. 

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असम के मुख्यमंत्री ने कहा था, 'मैं यह नहीं कह रहा हूं कि अपराध केवल एक विशेष धर्म के लोगों द्वारा किया जाता है, लेकिन हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों के बाद से हुई घटनाएं चिंता का विषय हैं.' 23 जून को, सरमा ने दावा किया कि बांग्लादेशी अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ लोगों ने राज्य और केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकारों द्वारा किए गए विकास कार्यों पर विचार किए बिना, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को वोट दिया. उन्होंने यह भी कहा कि असम में बांग्लादेशी मूल का अल्पसंख्यक समुदाय ही एकमात्र ऐसा समुदाय है जो सांप्रदायिकता में लिप्त है.

लोकसभा चुनाव 2024 में, भाजपा-एजीपी-यूपीपीएल गठबंधन ने असम की 14 सीटों में से 11 पर जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस को शेष तीन सीटें मिलीं. हाल ही में संपन्न आम चुनावों में भाजपा और उसके सहयोगियों ने पूर्वोत्तर राज्यों में कुछ आधार खो दिया, और 24 में से सिर्फ 15 सीटें जीत सके. विपक्षी कांग्रेस ने सात सीटें जीतीं. पिछली बार उसे पूर्वोत्तर के राज्यों में चार सीटें मिली थीं. सरमा ने कहा था, 'एक खास धर्म उन राज्यों में खुलेआम हमारी सरकार के खिलाफ चला गया जहां उसकी जनसंख्या ज्यादा है. इससे फर्क पड़ा है. यह कोई राजनीतिक हार नहीं है, क्योंकि कोई भी किसी धर्म से नहीं लड़ सकता.' 

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