
बीजेपी चुनाव में सत्ता विरोधी लहर को खत्म करने के लिए पुराने चेहरे के बजाय नए चेहरे का दांव चलकर कामयाबी हासिल करती रही है. इसी कड़ी में बीजेपी ने झारखंड विधानसभा चुनाव में सत्ता विरोधी लहर की काट के लिए पुराने की जगह नए चेहरे पर दांव चला था लेकिन ये फॉर्मूला झारखंड में नहीं चल सका है. इसी का नतीजा है कि बीजेपी ने अपने जिन मौजूदा विधायकों का टिकट काटकर नए चेहरों को उतारा था वो पूरी तरह फेल रहे हैं.
झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सत्ता विरोधी लहर के चलते अपने मौजूदा 13 विधायकों का टिकट काट कर नए लोगों को उम्मीदवार बनाया था. इनमें से महज दो ही जीत सके, बाकी 11 प्रत्याशी पराजित हो गए हैं. इसके अलावा कांके सीट से समरी लाल और सिंदरी से इंद्रजीत महतो को नए चेहरे के तौर टिकट दिया गया था और ये दोनों जीतने में सफल रहे थे.
बीजेपी ने जमशेदपुर पश्चिम से सरयू राय की जगह देवेंद्र सिंह, मांडर में गंगोत्री कुजूर की जगह देव कुमार धान, बोरियो में ताला मरांडी की जगह सूर्य नारायण हांसदा, सिमरिया में गणेश गंझू की जगह किशुन दास , चतरा में जयप्रकाश भोक्ता की जगह जनार्दन, घाटशिला में लक्ष्मण की जगह लखन मार्डी, झरिया में रागिनी सिंह को टिकट दिया था. ये सभी चुनाव हार गए हैं.
JMM ने तीन विधायकों का टिकट काटकर दांव खेला
वहीं, दूसरी ओर जेएमएम ने अपने तीन विधायकों का टिकट काटकर नए चेहरे पर दांव खेला था. इनमें चक्रधरपुर में शशिभूषण सामड की जगह सुखराम उरांव को, लिट्टीपाड़ा में साइमन मरांडी की जगह दिनेश विलियम मरांडी और तोरपा में पॉलुस सुरीन की जगह सुदीप गुड़िया को टिकट दिया था. इनमें से महज सुदीप गुड़िया ही चुनाव हारे जबकि, बाकी सीटों पर प्रत्याशी जीतने में सफल रहे थे.
बता दें कि झारखंड की कुल 81 सीटों में से बीजेपी 25 सीटों तक सिमट कर रह गई है और आजसू को दो सीटें मिली हैं. हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाले गठबंधन को 47 सीटें मिली हैं, जिनमें से 30 सीटें जेएमएम, 16 सीटें कांग्रेस और एक सीट पर आरजेडी ने कब्जा जमाया था. इसके अलावा तीन सीटें जेवीएम, एक सीट सीपीआई (माले), एक सीट एनसीपी और 2 सीटों पर निर्दलीय ने जीत दर्ज की है.