
झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रवींद्र चरण महतो ने बीजेपी नेता बाबूलाल मंराडी को दल-बदल कानून और 10वीं अनुसूची का उल्लंघन करने के मामले में नोटिस जारी किया था. बाबूलाल मंराडी ने इसे झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. गुरुवार को मामले की सुनवाई हुई. इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष की ओर से हलफनामा दाखिल करने के लिए और समय मांगा गया, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया. मामले की सुनवाई अब 14 दिसंबर को होगी.
गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान बाबूलाल मरांडी के वकील ने अपनी याचिका में कुछ पूरक जानकारी जोड़ना चाहा. अधिवक्ता मनोज टंडन विधानसभा अध्यक्ष की ओर से दलील दे रहे थे. मनोज टंडन ने कहा कि पहले उन्हें कोर्ट में हलफनामा दायर करने और जवाब देने का अधिकार है. अदालत को उन्हें इसके लिए कुछ समय देना चाहिए. कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा है कि वे तीन दिन में जवाब दाखिल करें.
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर जीते थे. उसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी का विलय भारतीय जनता पार्टी में कर लिया. विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें नोटिस जारी किया. उस नोटिस को बाबूलाल मरांडी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी. इसकी सुनवाई करते हुए अदालत ने विधानसभा अध्यक्ष के वकील को जवाब पेश करने को कहा है.
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अध्यक्ष रवींद्र चरण महतो की राय थी कि जेवीएम ने 3 सीटें जीती थीं. केवल मरांडी बीजेपी में शामिल हुए, जबकि अन्य दो विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए. यदि 3 में से 1 विधायक टूटता है तो ये दल-बदल कानून और 10वीं अनुसूची का उल्लंघन है. मरांडी को 10वीं अनुसूची के उल्लंघन और दल-बदल कानून के तहत नोटिस दिया गया था.