
झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली जेएमएम-कांग्रेस सरकार ने ढाई साल का सियासी सफर तय कर लिया है, लेकिन दूसरी तरफ बीजेपी-जेएमएम में शह-मात का खेल भी जारी है. जेएमएम की तरफ से बीजेपी के 16 विधायकों के बगावत का दावा किया जा रहा है तो बीजेपी भी कह रही है कि जेएमएम विधायकों के पाले बदलने की तैयारी में है. ऐसे में सवाल उठता है कि झारखंड में जेएमएम टूटेगी या फिर बीजेपी का होगा बिखराव?
JMM का दावा BJP के 16 विधायक बागी
महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के एक महीने भी नहीं गुजरे की झारखंड में इसकी आहट सुनाई देने लगी है. जेएमएम के केंद्रीय समिति सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य ने सोमवार को प्रेस कॉफ्रेंस करके कहा कि बीजेपी के प्रदेश नेतृत्व और विधायक दल के नेता से नाराज पार्टी के 16 विधायकों ने जेएमएम से संपर्क किया है. ये विधायक अलग समूह बनाकर हेमंत सरकार को समर्थन देना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी ने इस पर गंभीरता से विचार करने का मन बनाया है. बीजेपी के 16 विधायक सरकार को समर्थन देने के लिए तैयार हैं, तो जेएमएम इसका स्वागत करेगा.
बीजेपी का दावा जेएमएम के 21 विधायक हैं तैयार
वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि जेएमएम के 21 विधायकों ने हेमंत सोरेन के खिलाफ बगावत करने का मन बना लिया है. निशिकांत ने सोमवार को ट्वीट कर कहा कि जेएमएम के महासचिव पंकज मिश्रा के जेल जाने के बाद पार्टी बौखला गई है. जेएमएम के 21 विधायक पाला बदलने की तैयारी में हैं. मुख्यमंत्री सोरेन के परिवार में ही बगावत है. इसलिए ख्याली पुलाव बना रहे हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि बीजेपी की सरकार बनते ही दुर्गा सोरेन, सुनील महतो, निर्मल महतो की मृत्यु किन कारणों से हुई, उसकी जांच कराई जाएगी. विधायक लोबिन हेम्ब्रम के साथ न्याय किया जाएगा. साइमन मरांडी, एके राय, रामदयाल मुंडा जैसे को सम्मान दिया जाएगा.
जेएमएम-बीजेपी में शह-मात का खेल
झारखंड में जेएमएम और बीजेपी ने एक-दूसरे के खिलाफ विधायकों की बगावत का दावा करके सियासी तपिश को बढ़ा दिया है. इतना ही नहीं जेएमएम और कांग्रेस के बीच भी रिश्ते ठीक-ठाक नहीं चल रहे हैं तो दूसरी तरफ बीजेपी के अंदर भी एक गुट है, जो बाबूलाल मरांडी को पार्टी में बढ़ाए जाने से खुश नहीं है. इस तरह बीजेपी और जेएमएम दोनों ही दलों के अंदर असंतोष की बात कही जा रही है. ऐसे में झारखंड में भी बदलाव के बादल गहराने लगे हैं, लेकिन देखना है कि बारिश कब करते हैं.
झारखंड में क्यों उपज रहा असंतोष
दरअसल, राष्ट्रपति चुनाव में सत्ताधारी जेएमएम की सहयोगी पार्टी कांग्रेस के ज्यादातर विधायकों ने पार्टी आलाकमान के निर्देश के बावजूद यूपीए प्रत्याशी यशवंत सिन्हा के बजाय एनडीए प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोट किया है. माना जा रहा कि कांग्रेस के अंदर भी बगावत की चिंगारी सुलग रही है. जबकि, कांग्रेस के समर्थन से ही झारखंड में अभी हेमंत सोरेन की सरकार चल रही है.
महाराष्ट्र में सरकार बदलने के बाद से कहा जा रहा कि कांग्रेस के बागी विधायक हेमंत सरकार में शामिल अपनी पार्टी कोटे के मंत्रियों से नाराज हैं. उनका आरोप है कि उनके ही मंत्री उनकी समस्याएं नहीं सुन रहे हैं. यह विधायक लगातार मंत्रियों को बदलने की मांग करते आ रहे हैं. इसके अलावा जेएमएम के कई विधायकों ने खुले तौर पर हेमंत सोरेन की खिलाफ बागी रुख दिखा चुके हैं.
वहीं, एनसीपी विधायक राजेश सिंह हेमंत सोरेन सरकार से इतने नाराज हैं कि उन्होंने समर्थन वापसी तक की चेतावनी दे दी है. ऐसे में अगर कांग्रेस विधायक टूटते हैं और जेएमएम के विधायक बागी होते हैं तो हेमंत सोरेन की सरकार अल्पमत में आ जाएगी. यही वजह है कि जेएमएम बीजेपी के नाराज विधायकों को साधने की कवायद में है ताकि सरकार को बचाने का एक वैकल्पिक व्यवस्था बनाई गई. ऐसे में देखना है कि जेएमएम और बीजेपी के बीच शह-मात के सियासी खेल में कौन किसे शिकस्त देता है.