
झारखंड में हुए विभिन्न चिटफंड घोटाले की सीबीआई जांच संसाधनों के अभाव में लटक गई है. इन घोटालों में करीब 25 हजार करोड़ की राशि होने का अनुमान है. दरअसल, सीबीआई जांच में राज्य के अफसर ही रोड़ा बने हुए हैं. सीबीआई ने शुरुआत में 25 मामले दर्ज किए थे. जिसके बाद इससे जुड़े 213 और मामले सीआईडी ने सीबीआई को सौंपे.
सरकारी अधिकारियों की लापरवाही की वजह से सीबीआई को जांच के लिए जरुरी संसाधन और लॉजिस्टिक उपलब्ध नहीं कराए जा सके. इस संबंध में सीबीआई के जॉइंट डायरेक्टर ने राज्य की मुख्य सचिव को पत्र लिखकर जानकारी दी थी और संसाधन जल्द उपलब्ध कराने का आग्रह किया था.
70 मामले अबतक सीबीआई को नहीं सौंपे गए
सीबीआई के जॉइंट डायरेक्टर ने लिखा था कि उन्हें इन मामलों की जांच के लिए पुलिस अधिकारियों की जरूरत है. इनमें 35 डीएसपी, 35 सब-इंस्पेक्टर और 35 कांस्टेबल की मांग की गई थी. इसके अलावे उन्होंने रांची में एक अफसर, 10 चार पहिया वाहन, 5 दो पहिया वाहन, 5 लैपटॉप, 3 फोटो कॉपी मशीन और 12 स्टेनो टाइपिस्ट उपलब्ध कराने को कहा था. यह पत्र 7 सितंबर को भेजा गया था.
हालांकि इस पत्र के भेजे जाने के करीब दो महीने बाद इस बाबत पुलिस मुख्यालय में बैठक हुई. जिसमें डीजीपी ने निर्देश दिया कि पहले चरण में 6 डीएसपी, 10 अवर निरीक्षक, 20 हवलदार, 2 स्टेनो, 4 चार पहिया वाहन और 3 मोटर साइकिल की प्रतिनियुक्ति सीबीआई में की जाए. साथ ही भवन के लिए सचिव भवन निर्माण विभाग से आग्रह किया जाए. दूसरी तरफ झारखंड हाईकोर्ट ने भी इस संबंध में एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार को निर्देश दिया था कि सीबीआई को मामले की जांच के लिए जरुरी संसाधन मुहैया कराए जाएं.
क्या है मामला
दरअसल झारखंड के विभिन्न जिलों में चिटफंड कंपनियां लोगों से करीब 25 हजार करोड़ की ठगी कर चंपत हो गई थीं. इस मामले में विभिन्न संस्थाओं की ओर से झारखंड हाई कोर्ट ने जनहित याचिका दायर की गई थी. जिसकी सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीआईडी से लेकर सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था.