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केंद्रीय मंत्री रहते हुए जब फरार हो गए थे शिबू सोरेन, नरसंहार केस में रडार पर थे CM सोरेन के पिता

झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख रहे शिबू सोरेन 1975 के एक नरसंहार केस में गिरफ्तारी वारंट के बाद अंडरग्राउंड हो गए थे. शिबू सोरेन हेमंत सोरेन के पिता हैं. ईडी उन्हें कई दिनों से एजेंसी के सामने पेश होने को कह रही है लेकिन वह पेश नहीं हुए. सीएम सोरेन जब दिल्ली आए तो उनपर फरार होने तक के आरोप लगे लेकिन आइए आज आपको वो कहानी बताते हैं जब शिबू सोरेन को अंडरग्राउंड होना पड़ा था.

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बिकाश कुमार सिंह
  • रांची,
  • 30 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 5:57 PM IST

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर प्रवर्तन निदेशालय की तलवार लटकी हुई है. जमीन घोटाले से संबंधित केस में उनपर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है और केंद्रीय एजेंसी लगातार इसकी जांच में जुटी है. सोमवार को माहौल ऐसा बन गया कि हेमंत सोरेन की चारो तरफ तलाश शुरू हो गई. मामला यहां तक पहुंच गया कि राज्यों की सीमाएं सील करनी पड़ी. ऐसा माना जा रहा था कि वह फरार हो गए. कुछ इसी तरह के आरोप उनके पिता शिबू सोरेन पर भी लगे थे. आइए आपको बताते हैं वो दिलचस्प कहानी.

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22 मई 2004 को मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बने. झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष रहे शिबू सोरेन को भी मनमोहन सिंह के 67 सदस्यीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया. उन्हें कोयला मंत्रालय दिया गया. दो महीने बाद जुलाई 2004 में झारखंड की जामताड़ा अदालत ने 1975 चिरुडीह नरसंहार मामले में जेएमएम नेता शिबू सोरेन के खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया.

शिबू सोरेन इस गिरफ्तारी वारंट के बाद अंडरग्राउंड हो गए और 30 जुलाई 2004 को मीडियाकर्मियों के सामने आए. वो भी तब जब झारखंड हाई कोर्ट ने उन्हें 2 अगस्त 2004 तक  सरेंडर करने का आदेश दिया. आइए जानते हैं कि चिरुडीह नरसंहार के तीस साल बाद भी कोर्ट ने उन्हें भगोड़ा क्यों घोषित कर रखा है?

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कोर्ट ने गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया

1975 के चिरुडीह नरसंहार से संबंधित एक मामले में, झारखंड की जामताड़ा अदालत ने 17 जुलाई 2004 को जेएमएम चीफ शिबू सोरेन के लिए गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. 1975 में चिरुडिह में 11 लोगों के नरसंहार के संबंध में, सोरेन और अन्य आरोपी फरार हैं.

शिबू सोरेन हो गए थे अंडरग्राउंड

17 जुलाई, 2004 को जामताड़ा उप-विभागीय न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने शिबू सोरेन पर गिरफ्तारी का गैर-जमानती वारंट जारी किया था, जिसके बाद से वह छिपकर रह रहे थे. जब झारखंड हाई कोर्ट ने उन्हें 2 अगस्त 2004 तक सरेंडर करने का आदेश दिया, तो वे 30 जुलाई 2004 को मीडिया के सामने हाजिर हुए. 

उन्होंने छुपे होने से इनकार करते हुए कहा, ''मैं आज आपके सामने यहां आया हूं और मैं हमेशा लोगों के बीच रहा हूं.'' उन्होंने कहा था, ''मैं झारखंड हाई कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहा था.'' उन्होंने कहा, "मैं 2 अगस्त तक जामताड़ा उप-विभागीय न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने आत्मसमर्पण करूंगा और कानून के शासन का पालन करूंगा." 

शिबू सोरेन जब कर दिए गए भगोड़ा घोषित

1975 के चिरुडीह नरसंहार मामले के 30 साल बाद सुनवाई में कोर्ट ने आरोपी शिबू सोरेन को भगोड़ा घोषित कर दिया. 21 जुलाई 2004 को केंद्रीय कोयला मंत्री शिबू सोरेन के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट को तामील कराने के लिए रांची पुलिस की टीम दिल्ली पहुंची.

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हालांकि, सोरेन नॉर्थ एवेन्यू में अपने आधिकारिक आवास पर नहीं थे, लेकिन पुलिस टीम ने उनके निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) और एक घरेलू सहायक को वारंट सौंप दिया. टीम ने आवास के प्रवेश द्वार पर वारंट भी चस्पा कर दिया था. राजनीतिक और मीडिया के दबाव के सामने, शिबू सोरेन ने 24 जुलाई 2004 को मनमोहन सिंह कैबिनेट से केंद्रीय कोयला मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया.

कोर्ट के सामने सरेंडर कर दिया

2 अगस्त 2004 को झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रमुख शिबू सोरेन ने झारखंड में जामताड़ा जिला और सत्र न्यायालय के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, और उन्हें जेल भेज दिया गया. सोरेन के खिलाफ जामताड़ा अदालत द्वारा 1984 से जारी एक वारंट लंबित था. वारंट जुलाई 2004 में जारी किया गया. 2 अगस्त 2004 को ही झारखंड हाई कोर्ट ने चिरुडीह नरसंहार मामले में शिबू सोरेन को सशर्त जमानत दे दी थी.

केंद्रीय मंत्रिमंडल में दोबारा किए गए शामिल

फरवरी और मार्च 2005 में झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस-जेएमएम गठबंधन के लिए एक समझौते में, झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता शिबू सोरेन को 27 नवंबर 2004 को केंद्रीय मंत्रिमंडल में फिर से शामिल किया गया और कोयला मंत्रालय वापस दे दिया गया. इसके बाद पीएम रहे मनमोहन सिंह ने एक बयान जारी किया और बताया कि उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था. मामले को अब सुलझा लिया गया है.

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चिरुडीह नरसंहार मामले में बरी

मार्च 2008 में फास्ट-ट्रैक कोर्ट ने 33 साल पुराने चिरुडीह नरसंहार मामले में शिबू सोरेन को सबूतों की कमी का हवाला देते हुए बरी कर दिया था. झारखंड के जामताड़ा जिले की एक फास्ट-ट्रैक कोर्ट ने सबूतों की कमी का हवाला देते हुए सोरेन के अलावा 13 अन्य को बरी कर दिया था.
 

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