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आज इस्तीफा दे सकते हैं झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन

झारखंड में जारी सियासी संकट के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आज इस्तीफा दे सकते हैं. बताया जा रहा है कि हेमंत सोरेन विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे सकते हैं. उन्होंने आज 4 बजे कैबिनेट की बैठक बुलाई है. इस बैठक के बाद वे इस्तीफा दे सकते हैं. हेमंत सोरेन इसके बाद दोबारा सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे.

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (फाइल फोटो) झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (फाइल फोटो)
हिमांशु मिश्रा
  • रांची,
  • 01 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 2:30 PM IST

झारखंड में जारी सियासी संकट के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आज इस्तीफा दे सकते हैं. बताया जा रहा है कि हेमंत सोरेन विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे सकते हैं. उन्होंने आज 4 बजे कैबिनेट की बैठक बुलाई है. हेमंत सोरेन इसके बाद दोबारा सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे. इसके लिए जेएमएम नेताओं ने राज्यपाल से मिलने का समय मांगा है. गठबंधन के नेता शाम 4 बजे राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात करेंगे.

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दरअसल, हेमंत सोरेन के खिलाफ लाभ के पद के मामले में हाल ही में चुनाव आयोग ने अपनी सिफारिश राज्यपाल को भेजी थी. इसमें सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की सलाह दी गई थी. हालांकि, राज्यपाल रमेश बैस ने अभी तक इस मामले में कोई फैसला नहीं लिया है. 

झारखंड में जारी सियासी हलचल

ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले को देखते हुए हेमंत सोरेन ने ये नया दांव चला है. वे राज्यपाल रमेश बैस से मिलकर दोबारा सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं. नए सिरे से सरकार बनाने की कवायद भी शुरू हो गई है. 

हेमंत सोरेन की विधायकी पर संकट के बीच सूबे में सियासी उथल-पुथल जारी है. हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाले सत्ताधारी गठबंधन के विधायकों को छत्तीसगढ़ के रायपुर में रिसॉर्ट में ठहराया गया है. सोरेन सरकार का आरोप था कि बीजेपी द्वारा विधायकों की खरीद-फरोख्त की कोशिश की जा रही है. 

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बीजेपी की शिकायत पर EC ने की सिफारिश

बीजेपी ने राज्यपाल के पास एक शिकायत भेजी गई थी. इसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को खुद को एक खनन पट्टा जारी करके चुनावी कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था. बीजेपी ने मांग की थी कि हेमंत सोरेन की लाभ के पद के मामले में विधानसभा की सदस्यता रद्द होनी चाहिए. इस पर राज्यपाल ने चुनाव आयोग से सिफारिश मांगी थी. संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत, किसी सदस्य को अयोग्य ठहराने के मामले में अंतिम फैसला राज्यपाल को करना होता है. हालांकि, ऐसे किसी भी मामले में कोई निर्णय देने से पहले राज्यपाल चुनाव आयोग की राय लेनी होती है और उसी के मुताबिक फैसला करना होता है.  


 

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