
देश में कोरोना का विकराल रूप ना सिर्फ लोगों की जान ले रहा है बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था की भी हर मौके पर पोल खोल रहा है. कहीं पर अस्पतालों में बदइंतजामी देखने को मिल रही है तो कहीं बेड और ऑक्सीजन के लिए मरीज तरस रहे हैं. देश के हर हिस्से से ऐसी खबरें सुनने-देखने को मिल रही हैं. सरकारी दावों के बीच ये वो जमीनी हकीकत है जिसने कोरोना की इस दूसरी लहर को और घातक बना दिया है. अब झारखंड के बोकारो से भी चौंकाने वाली घटना सामने आई है.
एंबुलेंस में खत्म हो गई ऑक्सीजन, महिला की मौत
एक वृद्ध महिला की कोरोना से सिर्फ इसलिए मौत हो गई क्योंकि उन्हें समय रहते ऑक्सीजन नहीं मिला. जिस एंबुलेंस से उस महिला को अस्पताल ले जाया जा रहा था उसमें ऑक्सीजन खत्म हो गई और देखते ही देखते महिला ने दम तोड़ दिया. उस वृद्ध महिला को अस्पताल में ठीक इलाज मिल पाता, उससे पहले ही उनकी मौत हो गई. वजह बनी उस एंबुलेंस ड्राइवर की लापरवाही जिसने ये चेक ही नहीं किया कि एंबुलेंस में ऑक्सीजन खत्म होने वाली है. अगर एंबुलेंस में पर्याप्त ऑक्सीजन होती तो महिला जीवित होतीं और शायद कोरोना पर जीत भी हासिल करतीं.
अस्पताल की लचर व्यवस्था
जानकारी मिली है कि वद्ध महिला का बेटा सहारा इंडिया में एजेंट हैं और वहीं उन्हें एंबुलेंस से बोकारो सदर अस्पताल ले जा रहे थे. लेकिन ऑक्सीजन की कमी ने अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मां की सांसे छीन लीं और उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. हैरानी की बात ये रही कि वृद्ध महिला की मौत के बाद भी परिवार को अस्पताल प्रशासन की लचर व्यवस्था का खामियाजा भुगतना पड़ा. घंटों तक परिजन अपनी मां के शव के साथ चिलचिलाती धूप में बैठे रहे. परिवार एंबुलेंस के जरिए मां का शव घर ले जाना चाहते थे, लेकिन अस्पताल की तरफ से घंटों तक कोई एंबुलेंस नही दी गई.
लापरवाही पर क्या एक्शन?
जब मामले ने तूल पकड़ा और अस्पताल को पत्रकारों के सवालों का सामना करना पड़ा, तब जाकर उस परिवार की मदद हुई और एंबुलेंस की व्यवस्था की गई. मामले पर सिविल सर्जन अशोक पाठक ने कहा इस घटना पर संज्ञान लिया जाएगा. उनके मुताबिक 108 एंबुलेंस उनके अंडर नहीं है. वो स्टेट चलाती हैं. वहीं पूछे जाने पर बताया गया है कि एंबुलेंस के ड्राइवर से जरूर सवाल-जवाब किए जाएंगे और समझने की कोशिश रहेगी कि ऐसी लापरवाही कैसे हुई?
अब लापरवाही के खिलाफ एक्शन तो लिया जा सकता है लेकिन मृत को दोबारा जीवित नहीं किया जा सकता. यहीं कोरोना काल की कड़वी सच्चाई है जहां लोग सिर्फ इस वायरस की वजह से नहीं मर रहे हैं, बल्कि कई बदइंतजामी और लचर व्यवस्था के आगे भी अपना दम तोड़ रहे हैं. (रिपोर्ट- संजय शर्मा, सत्यजीत कुमार)