
आंखों की रोशनी न रखने वाले बच्चों की शिक्षा के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. झारखंड के देवघर में इससे एक कदम आगे बढ़ाते हुए दृष्टिबाधित बच्चों को ई-शिक्षा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए डीजी प्लेयर, लैपटॉप और मोबाइल का सहारा लिया जा रहा है.
दृष्टिबाधित बच्चों को डिजिटल इंडिया से जोड़ने के उद्देश्य से इन्फॉर्मेशन कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (ICT) ने ये पहल की है. इसके तहत इन्हें इंटरनेट के जरिये ई-बुक और ई- लाइब्रेरी तक पहुंच कराई जा रही है. ऐसे बच्चों के लिए बाहरी दुनिया से जुड़ने और उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए ये सार्थक प्रयास है.
देवघर के सरस कुंज में लैपटॉप के सामने बैठे बच्चों को मोबाइल और डीजी प्लेयर पर उंगलियां फेर कर कम्युनिकेशन क्रांति की धड़कन को महसूस करते देखा जा सकता है. रेडक्रॉस सोसाइटी के माध्यम से इन बच्चों के भविष्य को संवारने की कोशिश की जा रही है. अब तक ब्रेल लिपि से पढ़ाई कर रहे ये बच्चे अब जल्द ही ई-बुक और ई-लाइब्रेरी से जुड़ कर उच्च और आधुनिक शिक्षा प्राप्त करने का सपना पूरा कर पाएंगे.
झारखंड समेकित शिक्षा कार्यक्रम के तहत देवघर में लगभग 50 दृष्टिबाधित बच्चों को ई-शिक्षा से जोड़ने के लिए कदम उठाया गया है. डिजिटल इंडिया का लाभ दिलाने के उद्देश्य से इन बच्चों को पहले डीजी प्लेयर, लैपटॉप और मोबाइल ऑपरेट करने की ट्रेनिंग दी जा रही है. इससे अगले कदम में बच्चे इंटरनेट से जुड़ कर पाठ्यक्रम की पुस्तकें डाउन लोड कर आगे की पढ़ाई कर सकेंगे.
दृष्टिबाधित बच्चों को ट्रेनिंग देने वाले सत्यजीत कुमार सिंह ने बताया कि इनके लिए कम्प्यूटर या लैपटॉप में खास तौर पर स्क्रीन रीडर ऐप डाउन लोड किया गया है. साथ ही इनकी सुविधा के लिए कीबोर्ड के शब्दों को सुन कर लिखने का प्रावधान किया गया है.
देवघर जिला प्रशासन भी ऐसे बच्चों की मदद के लिए काफी गंभीर है. देवघर के उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री खुद ऐसे बच्चों की ट्रेनिंग की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. उपायुक्त ऐसे बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में लोगों से भी सहयोग की अपील कर रहे हैं.
ये बच्चे भी इस नई पद्धति से जुड़ कर काफी खुश हैं. ट्रेनिंग से उत्साहित छात्रा सोनी कुमारी का कहना है कि अब उच्च शिक्षा हासिल करने का उसका सपना भी साकार हो सकेगा. दृष्टिबाधित छात्र उमेश कुमार भी डीजी प्लेयर और लैपटॉप सीख कर आगे बढ़ना चाहता है.
बेशक ये बच्चे आंखों की रोशनी से वंचित हैं लेकिन इनके सपनों की उड़ान पर कोई पहरा नहीं है. इंटरनेट की दुनिया से इन्हें जोड़ने की सरकार की यह पहल अब सपनों की उड़ान के लिए इन बच्चों को नए पंख देने वाली साबित हो सकती है.