
झारखंड सरकार ने अपने वादे के मुताबिक सूबे के भ्रष्ट अधिकारियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. इसकी शुरुआत टाटा भूमि घोटाले के आरोपी एवं झारखंड प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रुक्मेश मिश्रा की बर्खास्तगी के साथ होगी. जांच कमेटी ने उनकी बर्खास्तगी की अनुशंसा मुख्यमंत्री रघुवर दास से की है. मिश्रा पर कोडरमा के डोमचांच के अंचलाधिकारी के रूप में सरकारी जमीन घोटाला में शामिल होने का आरोप है.
क्या है मामला
रुक्मेश मिश्रा ने गैर मजरूआ सरकारी भूमि की फर्जी जमाबंदी और फर्जी नामांतरण वाद को आधार बनाकर 47 साल के बाद गलत रैयत के नाम पर शुद्धि पत्र निर्गत कर दिया था. इस वजह
से सरकार की करीब 440 एकड़ जमीन निजी लोगों के हाथ में चली गई थी. बाद में इन लोगों ने इसे टाटा स्टील के हाथों बेच दिया गया. रुक्मेश मिश्रा ने नियमों की अनदेखी करके टाटा स्टील
को सर्टिफिकेट जारी किया था कि यह जमीन सरकारी नहीं है.
कैसे हुआ खुलासा
कोडरमा के डोमचांच अंचल में टाटा स्टील ने स्थानीय रैयत से करीब 440 एकड़ जमीन खरीदी थी. बाद में टाटा की तरफ से यह जमीन राज्य सरकार को क्षतिपूर्ति वनरोपन के लिए देने का
प्रस्ताव दिया गया. जमीन के कागजात की जांच के दौरान सरकार को पता चला कि यह जमीन सरकारी है, जिसे गैर कानूनी तरीके से स्थानीय लोगों के नाम कर दी गई. इस दौरान इसमें
तत्कालीन अंचलाधिकारी रुक्मेश मिश्रा की संलिप्तता सामने आई थी.
मामले का खुलासा होने के बाद राज्य सरकार ने रुक्मेश मिश्रा को निलंबित कर दिया था. आरोपों की जांच के लिए रिटायर्ड आईएएस अधिकारी अशोक कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में एक टीम का गठन किया गया. इस टीम ने विभागीय जांच रिपोर्ट में उनके खिलाफ लगे ज्यादातर आरोप सही पाया, जिसके बाद मिश्रा के खिलाफ बर्खास्तगी की प्रक्रिया शुरू की गई है. दूसरी तरफ मामले में संलिप्त जमीन मालिक और दलालों की गिरफ्तारी हो चुकी है.