
झारखंड में सभी जन प्रतिनिधियों को निजी वाहन पर नेम प्लेट लगाने की छूट देने पर हाई कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है. चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच ने सरकार को यह बताने को कहा है कि एमवी एक्ट के किस प्रावधान के तहत जन प्रतिनिधियों को निजी वाहनों में नेम प्लेट लगाने की छूट दी गई है. क्या एमवी एक्ट में इसका प्रावधान है. सरकार को दो सप्ताह में इसका जवाब दाखिल करने का निर्देश कोर्ट ने दिया है.
गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में वाहनों में नेम प्लेट और ट्रैक गार्ड लगाने की अधिसूचना जारी कर दी गई है. इसमें स्पष्ट किया गया है कि किस सरकारी और निजी वाहनों में नेम प्लेट लगाए जा सकते हैं. इस पर अदालत ने कहा कि निजी वाहनों में नेम प्लेट लगाने की छूट किस नियम के तहत सिर्फ चुने हुए जन प्रतिनिधियों को दी गयी है.
सरकार की अधिसूचना के अनुसार एक मुखिया, पार्षद, विधायक और दूसरे जन प्रतिनिधि निजी वाहनों पर नेम प्लेट लगा सकते हैं, लेकिन किसी दूसरे को यह छूट नहीं दी गयी है. यहां तक की न्यायिक पदाधिकारी और हाइकोर्ट के जजों को भी यह अधिकार नहीं दिया गया है. हाईकोर्ट के जज तो अपनी सरकारी गाड़ी पर भी पद का बोर्ड लगाकर नहीं चलते. सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि सिर्फ जन प्रतिनिधियों को ही निजी वाहनों पर नेम प्लेट लगाने की छूट क्यों प्रदान की गई है और किस प्रावधान के तहत ऐसा किया गया है.
इस संबंध में गजाला तनवीर ने झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. उनकी तरफ से अधिवक्ता फैसल अल्लाम ने अदालत में पक्ष रखा. याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि किसी भी वाहन में किसी भी पदनाम और नाम का प्लेट और बोर्ड नहीं लगाया जा सकता, लेकिन झारखंड में इसका पालन नहीं किया जा रहा है. इसमें कहा गया कि सरकारी अधिकारी से लेकर राजनीतिक दल के कार्यकर्ता और अन्य लोग भी बोर्ड लगा कर चल रहे हैं, लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही है. इस पर हाईकोर्ट ने सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था.