
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. झारखंड हाई कोर्ट ने CM हेमंत सोरेन के खिलाफ दायर की गई याचिकाकर्ता शिव शंकर शर्मा के दोनों जनहित याचिकाओं को सुनवाई योग्य मान लिया है. दोनों PIL के मेंटनिबिलिटी को बचाव पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में SLP के माध्यम से चैलेंज किया था. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच को दोनों PIL के मेंटनिबिलिटी को तय कर मेरिट पर सुनवाई के निर्देश दिए थे.
हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने मुख्यमंत्री के खनन लीज और शेल कंपनी में भागीदारी से जुड़े दोनों पीआईएल को सुनवाई के योग्य बताया है. इस पर हाईकोर्ट ने 80 पेज का आर्डर जारी किया है.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार ने बताया कि दोनों याचिकाएं मेंटेनेबल हैं या नहीं, इस पर 1 जून को करीब 4 घंटे तक बहस चली थी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और सरकार की तरफ से सीनियर वकील कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने अपना पक्ष रखते हुए दोनों याचिकाओं को खारिज करने की अपील की थी. दोनों अधिवक्ताओं ने याचिकाकर्ता शिव शंकर शर्मा के क्रेडेंशियल पर सवाल खड़े किए थे. जबकि ईडी के वकील तुषार मेहता ने कहा था कि पूरे मामले में अगर हाईकोर्ट को लगता है कि इसमें मेरिट है तो वह संज्ञान खुद ले सकता है.
वकील राजीव कुमार ने बताया कि शुक्रवार को दोनों केस को सुनवाई योग्य बताते हुए चीफ जस्टिस की अदालत ने दोनों केस के मेरिट पर सुनवाई की बात कही. इस पर झारखंड हाईकोर्ट के महाधिवक्ता ने कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल किसी अन्य काम में व्यस्त हैं, इसलिए कुछ समय बाद सुनवाई की तारीख दी जाए.
10 जून को सभी मामलों के मेरिट पर होगी सुनवाई
इस पर हाईकोर्ट ने सभी मामलों के मेरिट पर सुनवाई के लिए 10 जून की तारीख तय की है. हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अब दोनों केस की सुनवाई फिजिकल तरीके से होगी. इससे साफ हो गया है कि अगली सुनवाई के दिन मुख्यमंत्री और सरकार की तरफ से अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी रांची आएंगे.
याचिकाकर्ता ने सीबीआई और ईडी से जांच की मांग की थी
राजीव कुमार से यह पूछा गया कि क्या हाईकोर्ट के इस फैसले को बचाव पक्ष फिर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकता है. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि यह ऑप्शन हमेशा खुला रहता है. दोनों पीआईएल के जरिए याचिकाकर्ता ने पूरे मामले की सीबीआई और ईडी से जांच कराने की मांग की थी.
बता दें कि मनरेगा में हुई वित्तीय गड़बड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़े पीआईएल पर सुनवाई के दौरान ईडी ने झारखंड हाईकोर्ट में एक सीलबंद लिफाफा पेश किया था. ईडी की दलील थी कि उसके पास शेल कंपनी से जुड़े कई अहम साक्ष्य हाथ लगे हैं. लिहाजा, सीएम से जुड़े खनन पट्टा और शेल कंपनी से जुड़े पीआईएल को भी एक साथ सुना जाना चाहिए.
ईडी के स्टैंड को सुप्रीम कोर्ट में किया गया था चैलेंज
ईडी के स्टैंड को कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने दोनों केस के मेंटेनेबिलिटी पर सुनवाई के लिए झारखंड हाई कोर्ट को आदेश दिया था. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में खनन लीज से जुड़े पीआईएल संख्या 727 और शल कंपनी से जुड़े पीआईएल संख्या 4290 को मेंटेनेबल बताया है. हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद दोनों केस के मेरिट पर सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है.
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