
राज्य में बढ़ते संक्रमण और स्वास्थ्य सेवाओं की वर्तमान स्थिति पर झारखंड हाई कोर्ट ने एक बार फिर नाराजगी जतायी है. हाई कोर्ट ने कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली ध्वस्त हो गयी है. अस्पताल में बेड नहीं हैं. बीमारी से मौतें बढ़ गयी हैं. एक सप्ताह तक जांच रिपोर्ट नहीं आ रही है. रिम्स जैसे अस्पताल में मात्र तीन आरटीपीसीआर मशीन हैं. रिम्स में पांच हजार से अधिक सैंपल अभी भी लंबित हैं. सैंपल जांच के लिए भुवनेश्वर भेजा जा रहा है. इससे प्रतीत होता है कि सरकार अभी महामारी और बढ़ने का इंतजार कर रही है. इस स्थिति को बदलना होगा. जल्द ही हालात पर काबू नहीं पाया गया तो स्थिति और भयावह हो सकती है.
चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने मंगलवार को यह टिप्पणी की. अदालत ने कहा कि यह विपदा का समय है और सभी को गंभीरता से काम करना होगा. स्वास्थ्य सचिव सिर्फ कोर्ट में आकर बातें सुनते हैं. उन्हें गंभीरता दिखानी होगी और धरातल पर काम करना होगा. स्थिति से निपटने के लिए अदालत ने होटल और बैंक्वेट हॉल को आइसोलेशन सेंटर बनाने का सुझाव दिया है. अदालत ने 17 अप्रैल को इस पूरे मामले पर प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था.
चीफ जस्टिस ने कहा कि पिछले एक साल से रिम्स की बदहाली पर हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है. एक साल से आम लोगों के हित में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने का निर्देश कोर्ट दे रहा है, लेकिन इसका कोई असर नहीं दिख रहा है. रिम्स जैसे अस्पताल में टेक्निशयन नहीं हैं. कई अन्य मशीन भी नहीं है. पूरे राज्य से रिम्स में मरीज आते हैं. इससे प्रतीत होता है कि राज्य की स्वास्थ्य सेवा बेहतर नहीं है और इलाज के लिए लोगों को रिम्स आना पड़ रहा है. रिम्स पर दबाव बढ़ रहा है और वह दबाव झेलने की स्थिति में नहीं है.
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने बताया कि राज्य के निजी अस्पतालों के 50 फीसदी बेड कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित कर दिए गए हैं. वहीं 35 हजार से अधिक टेस्ट हर दिन हो रहे हैं. सरकार हर दिन स्थिति में सुधार लाने का प्रयास कर रही है. महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि रिम्स की जीबी यानी जनरल बॉडी मीटिंग मंगलवार को हो रही है. इसमें सिटी स्कैन और अन्य मशीन खरीदने के प्रस्ताव पर चर्चा भी की जाएगी. सरकार पूरी गंभीरता के साथ स्थिति से निपट रही है. इस पर अदालत ने 17 अप्रैल को प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है.