
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर उत्तर-पूर्व रेलवे ने अनोखी मिसाल कायम की है. रांची-लोहरदगा-टोरी रेल लाइन पर चलने वाली पैसेंजर ट्रेन में ड्राइवर, गार्ड, सुरक्षा कर्मी से लेकर टीटीई तक सभी महिलाएं थीं. यानी पूरी ट्रेन महिलाओं के जिम्मे थी. सबसे सराहनीय बात यह रही कि सभी ने काफी उत्साह से अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए ट्रेन को गंतव्य तक पहुंचाया. इस दौरान किसी भी तरह की समस्या नहीं आई.
रांची से वाया लोहरदगा टोरी जानेवाली पैसेंजर ट्रेन (58653) ने इस सफर के साथ ही उत्तर-पूर्व रेलवे के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ा है. दरअसल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आज इस ट्रेन के परिचालन से लेकर स्टेशन और टिकट काउंटर तक की जिम्मेदारी महिलाओं के हाथों में थी.
इस ट्रेन की ड्राइवर दीपाली ने कहा कि, यह बहुत गर्व की बात है. यह प्रयास इस बात को दिखाता है कि महिलाएं पुरुषों से किसी भी तरह से कमतर नहीं है. बता दें, उत्तर-पूर्व रेलवे ने इस बात की घोषणा पूर्व में कर रखी थी. ऐसे में आज ट्रेन में सफर करनेवाले यात्री भी खासे उत्साहित नजर आए.
उत्तर पूर्व रेलवे के ADRM विजय कुमार के मुताबिक महिला सशक्तिकरण की तरफ हमारा यह सांकेतिक कदम है. हमारा उद्देश्य यह है कि महिलाएं किसी क्षेत्र में पीछे न रहें.
पहले रेलवे में ड्राइवर और गार्ड जैसे पदों पर महिलाओं की नियुक्ति नहीं होती थी, लेकिन आज परिस्थितिया बदल चुकी हैं. रेलवे जैसे पुरुष प्रधान क्षेत्रों में महिलाओं का आगे आना निश्चित तौर पर शुभ संकेत है.
खासकर झारखंड के पहाड़ी और आदिवासी इलाकों में जहां महिलाएं अक्सर पलायन और ह्यूमन ट्रैफिकिंग का शिकार बनती रही हैं. ऐसे में रेलवे का आगे आकर महिलाओं को नौकरी उपलब्ध कराना एक उल्लेखनीय कदम साबित हो सकता है.