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झारखंड: JPSC की छठी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा फिर स्थगित

छठी राज्य सिविल सेवा परीक्षा के लिए 2015 में विज्ञापन निकला था. इस परीक्षा को लेकर 18 दिसंबर 2017 को पीटी परीक्षा आयोजित की गयी थी. इसका परीक्षाफल 24 फरवरी 2017 को निकाला गया था.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
अंकुर कुमार/धरमबीर सिन्हा
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  • 25 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 7:37 PM IST

झारखण्ड पब्लिक सर्विस कमीशन (JPSC) के द्वारा ली जानेवाली छठी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा सरकार के आदेश के बाद दूसरी बार स्थगित कर दी गई है. यह परीक्षा 29 जनवरी से शुरू होनेवाली थी, जो 7 फ़रवरी तक चलनेवाली थी. इससे पहले बीते साल 7 नवम्बर से होनेवाले इस परीक्षा को विरोध के बाद स्थगित किया गया था. इस परीक्षा में 326 पदों के लिए कुल 6103 परीक्षार्थी शामिल होनेवाले थे. झारखंड बनने के बाद JPSC छठी बार इस परीक्षा का आयोजन कर रहा है. जबकि अबतक 17 परीक्षाएं ले ली जानी थी.

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नियुक्ति के लिए 2015 में निकला था विज्ञापन

छठी राज्य सिविल सेवा परीक्षा के लिए 2015 में विज्ञापन निकला था. इस परीक्षा को लेकर 18 दिसंबर 2017 को पीटी परीक्षा आयोजित की गयी थी. इसका परीक्षाफल 24 फरवरी 2017 को निकाला गया था. कटऑफ मार्क्स को लेकर हुए विवादों के बाद 18 अप्रैल 2017 को झारखण्ड कैबिनेट ने संशोधित रिजल्ट देने का आदेश JPSC को दिया, जिसके बाद इसका संशोधित रिजल्ट 11 अगस्त को प्रकाशित किया गया. JPSC ने 22 सितंबर को मुख्य परीक्षा का कार्यक्रम घोषित किया. जिसके तहत 7 नवम्बर 2017 से परीक्षा ली जानी थी, लेकिन दूसरा संशोधित रिजल्ट भी विवादों में फंस गया. इसकी वजह से 24 अक्टूबर को JPSC ने परीक्षा अपरिहार्य कारणों से स्थगित कर दी गई. कुछ समय बाद JPSC ने एक बार फिर से 29 जनवरी में सिविल सेवा परीक्षा लेने का कार्यक्रम तय किया. अब वो भी विरोध के वजह से स्थगित कर दिया गया है.

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तीन सालों से जारी है परीक्षा

इस परीक्षा के नोटिफि‍केशन से अब तक 3 साल से ज्यादा हो गए हैं. राज्य में नियुक्तियों के लिए वर्ल्ड रिकार्ड बनाने के बड़े बड़े दावे करनेवाले मुख्यमंत्री अपने ही आयोग की कार्यशैली पर मौन है. ऐसे में राज्य के युवा जो सरकारी नौकरियों की आस लगाए बैठे हैं, उनकी मानसिक हालत का अंदाजा आसानी ने लगाया जा सकता है.

सरकार की उदासीनता से जांच ठंडे बस्ते में

पांच सिविल सेवा परीक्षा संपन्न करा चुके JPSC की लगभग हर परीक्षा विवादों में रही है. आयोग द्वारा परीक्षाओं के लिए विज्ञापन जारी करने से लेकर अंतिम परिणाम जारी किए जाने पर सवाल उठते रहे हैं. दरअसल पहली सिविल सेवा परीक्षा में 64 पदों के लिए घोषित पीटी परिणाम को लेकर विवाद हो गया था. आखिरकार दोबारा पीटी लिया गया. परीक्षा में गड़बड़ी और धांधली किए जाने की बात निगरानी और सीबीआई के द्वारा की गई जांच में सामने आई. इसमें पाया गया कि कॉपियों में हेरफेर कर कैंडिडेट्स को मन मुताबिक मा‌र्क्स दिए गए. इस तरह दो दर्जन सफल अभ्यथिर्यो की नियुक्ति में गड़बड़ी की गई. इसी तरह दूसरी सिविल सेवा परीक्षा में 175 पदों के लिए ली गई परीक्षा में जमकर धांधली की गई. सीबीआई जांच में करीब सौ सफल अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं में व्यापक गड़बड़ी पाई जाने की बात सामने आई. मा‌र्क्स में हेरफेर कर इन्हें सफल घोषित किया गया है. आयोग के सदस्यों ने अपने परिचितों के अलावा कई वीआईपी के परिजनों को भी अधिकारी बना दिया. निगरानी और सीबीआई जांच के अलावा मामला हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा. जिसकी वजह से 19 अधिकारियों की सेवा भी छीन ली गई. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ये अधिकारी सेवा में वापस आ गए. इसी तरह तीसरी और चौथी सिविल सेवा परीक्षा में भी विवाद उठा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से सीबीआई जांच जारी रखने की हरी झंडी मिलने के बाबजूद बीते एक साल से जांच ठंडे बस्ते में है.

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