
मधु कोड़ा का जन्म 6 जनवरी 1971 को पश्चिम सिंहभूम के जगन्नाथपुर के पाताहातू में हुआ था. मधु कोड़ा ने झारखण्ड के पांचवें मुख्यमंत्री के रूप में 18 सितंबर 2006 को शपथ ली थी. मधु कोड़ा भारत के किसी भी राज्य में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में 23 महीने के लम्बे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले पहले मुख्यमंत्री रहे.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े मधु कोड़ा
मधु कोड़ा निर्दलीय विधायक रहते हुए 18 सितम्बर 2006 को झारखण्ड के 5वें मुख्यमंत्री बने थे और 709 दिन तक मुख्यमंत्री रहे. मधु कोड़ा के राजनीतिक सफ़र की शुरुआत ऑल झारखण्ड स्टूडेंट यूनियन के साथ छात्र राजनीति से हुई. इसके बाद कोड़ा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए.
मधु कोड़ा ने ठेका मजदूरी भी की
इससे पहले वे मधु कोड़ा ने बतौर ठेका मजदूर मजदूरी भी की. फिर मजदूर यूनियन के नेता बने. कोड़ा के पिता रसिक एक खान मजदूर थे. अपनी एक एकड़ जमीन पर वे खेती करते थे. खबरों के मुताबिक उनका सपना था कि उनका बेटा पुलिस में भर्ती हो और एक सम्मानजनक नौकरी करे.
2000 में पहली बार बीजेपी के टिकट पर बने MLA
इसी दौरान कोड़ा पूर्व मुख्यमंत्री रहे बाबूलाल मरांडी के संपर्क में आये और साल 2000 में पहली बार बीजेपी के टिकट पर विधायक बने, लेकिन साल 2005 में बीजेपी द्वारा टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीतकर विधायक बने.
तीन निर्दलीयों विधायकों के साथ मिलकर बनाई सरकार
2006 में बाबूलाल मरांडी की सरकार अल्पमत में आने के बाद कांग्रेस की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन और तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन से मधु कोड़ा झारखण्ड के 5वें मुख्यमंत्री बने. इसके पहले वो बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा सरकार में दो बार मंत्री भी रह चुके हैं.
अब पत्नी भी हैं विधायक
फिलहाल उनकी पत्नी गीता कोड़ा, मधु कोड़ा की पार्टी जय भारत समता पार्टी की एक मात्र विधायक हैं. गीता कोड़ा जगरनाथपुर सीट से विधायिका है, इसी सीट से मधु कोड़ा भी विधायक हुआ करते थे.
स्टूडेंट यूनियन से जुड़े रहे मधु कोड़ा
मधु कोड़ा के राजनैतिक जीवन की शुरुआत ऑल झारखंड स्टूडेंड यूनियन के एक कार्यकर्ता के रूप में हुई थी. बाद में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भी सदस्य बने. 2000 के झारखंड विधानसभा के चुनावों में वे बीजेपी उम्मीदवार के रूप में जगन्नाथपुर विधानसभा सीट से चयनित हुए. बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में बनने वाली सरकार में वे पंचायती राज मंत्री बने और बाद में वे 2003 में अर्जुन मुंडा की सरकार बनने के बाद भी इसी पद पर काबिज रहे.
2005 में बीजेपी ने नहीं दिया टिकट
2005 के विधानसभा चुनावों में उन्हें बीजेपी द्वारा उम्मीद्वार बनाने से मना कर दिया गया. इसके बाद वे एक निर्दलीय के रूप में उसी विधान सभा सीट से चुने गये. खंडित जनादेश के कारण वे बीजेपी के नेतृत्व में बननेवाली अर्जुन मुंडा की सरकार का उन्होंने बाहर से समर्थन किया और उन्हें खान एवं भूवैज्ञानिक मामलों का मंत्री बनाया गया.
यूपीए ने दिया समर्थन, झारखंड में बनाई गठबंधन की सरकार
सितंबर 2006 में कोडा और अन्य तीन निर्दलीय विधायकों ने मुंडा की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया, जिससे सरकार अल्पमत में आ गयी. बाद में विपक्ष संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार कर अपनी सरकार बनायी जिसमें झामुमो, राजद, युनाइटेड गोअन्स डेमोक्रेटिक पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, फारवर्ड ब्लाक, 3 निर्दलीय विधायक शामिल थे, जिसमें कांग्रेस बाहर से समर्थन कर रही थी. कोड़ा को 30 नवंबर 2009 को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया.