
झारखंड मुक्ति मोर्चा सुप्रीमो शिबू सोरेन के अपमान के मुद्दे पर राज्य की सियासत गर्म हो गई है. झामुमो ने 27 अप्रैल को होने वाले विधानसभा के एकदिवसीय विशेष सत्र को ठप्प करने का ऐलान किया है. यह सत्र राज्य वस्तु और सेवा कर अधिनियम को पारित कराने के लिए बुलाया गया है.
सीएम रघुवर दास ने सोरेन पर साधा निशाना
गौरतलब है कि बीते दिनों एक जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा था कि झारखंड मुक्ति मोर्चा कब तक शिबू सोरेन को सर पर ढोते रहेगी. रघुवर दास ने ये भी कहा था कि जल, जंगल और जमीन की राजनीति करने करने वाले बाप-बेटे के पास सूबे में कितनी जमीन है सभी जानते हैं. दास ने आरोप लगाते हुए कहा था कि झामुमो आदिवासियों का इस्तेमाल वोट बैंक के तौर पर कर रही है. इसकी आड़ में वे अपनी समृद्धि बढ़ाते हैं और जनता को भाग्य भरोसे छोड़ देते हैं.
झारखंड मुक्ति मोर्चा का पलटवार
शिबू सोरेन के अपमान के मुद्दे को लेकर झामुमो पूरे सूबे के जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन कर रही है. हेमंत सोरेन ने कहा कि बीजेपी पहले अपने गिरेबान में झांक कर देखे कि कैसे उसने आडवाणी, जोशी जैसे नेताओं की उपेक्षा की है और उन्हें हासिये पर धकेल दिया है. हेमंत सोरेन ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री खुद बाहरी हैं, ऐसे में वे कैसे राज्य की जनता का भला कर सकते हैं. इनकी वजह से अडानी और अंबानी जैसे लोग यहां की जमीन लूट रहे हैं. सीएनटी और एसपीटी एक्ट में बदलाव इन्हीं के कहने पर किया जा रहा है, लेकिन राज्य की जनता ने लिट्टीपाड़ा में भारी मतों से बीजेपी को हराकर इसका जबाब दे दिया है. झामुमो ने कहा कि रघुवर दास को यह ख्याल रखना चाहिए कि शिबू सोरेन ने अलग राज्य के आंदोलन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. वे राज्य के मुख्यमंत्री भी रहे हैं. पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ भी उन्होंने अमर्यादित शब्दों का प्रयोग किया है, इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
लिट्टीपाड़ा की हार से बौखलाई हुई है बीजेपी
गौरतलब है कि बीजेपी लिट्टीपाड़ा में तमाम कोशिशों के बाद भी विधानसभा का उप-चुनाव नहीं जीत पाई. इसकी वजह से मुख्यमंत्री रघुवर दास संथालपरगना के दौरे में अपनी खीज नहीं छुपा पाए. दरअसल बीजेपी अब तक शिबू सोरेन पर सीधा हमला करने से बचती रही है, लेकिन बदले हुए माहौल में अब वो सांसद रिश्वतखोरी कांड से लेकर बेटे हेमंत सोरेन के दुमका सीट नहीं छोड़ने जैसे मुद्दे उठा रही है. जिसकी वजह से शिबू सोरेन को तमाड़ सीट से चुनाव लड़ना पड़ा था और यहां मिली हार की वजह से शिबू सोरेन को मुख्यमंत्री की गद्दी से हाथ धोना पड़ा था. इस हार के बाद शिबू सोरेन ने अपनी जगह हेमंत सोरेन को प्रोजेक्ट करना शुरू कर दिया था.