Advertisement

पश्चिम सिंहभूमः क्या झामुमो के गढ़ में सेंध लगा पाएगी भाजपा?

पश्चिमी सिंहभूम में वर्ष 2005 में भारतीय जनता पार्टी के पुतकर हेम्ब्रम विधायक थे. उसके बाद से अगले 2 विधानसभा चुनावों में भाजपा जीत नहीं पाई. 2009 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के दीपक बिरुवा विधायक बने. दीपक बिरुवा ने 2014 में भी अपनी विधायकी बचाए रखी.

एशिया का सबसे घना साल का जंगल पश्चिमी सिंहभूम के सारंडा में है. (फोटो- परिमल नाथवानी) एशिया का सबसे घना साल का जंगल पश्चिमी सिंहभूम के सारंडा में है. (फोटो- परिमल नाथवानी)
aajtak.in
  • चाईबासा,
  • 10 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 11:05 AM IST

  • 2005 के बाद से अब तक नहीं जीती है भाजपा
  • क्षेत्रफल के अनुसार झारखंड का सबसे बड़ा जिला

1990 में पुराने सिंहभूम जिले के विभाजन के बाद पश्चिमी सिंहभूम जिला बनाया गया. 9 सामुदायिक विकास प्रखंडों के साथ पूर्वी सिंहभूम साथ ही जमशेदपुर मुख्यालय बना. 23 प्रखंडों के साथ पश्चिमी सिंहभूम बन गया. 2001 में पश्चिमी सिंहभूम दो भागों में विभाजित हो गया. 8 प्रखंडों के साथ सरायकेला-खरसावां जिला अस्तित्व में आया. अभी 18 प्रखंडों एवं 3 अनुमंडलों के साथ पश्चिमी सिंहभूम जिला जाना जाता है. यह क्षेत्रफल के हिसाब से राज्य का सबसे बड़ा जिला है. इसका क्षेत्रफल 5351.41 वर्ग किमी है.

Advertisement

पश्चिमी सिंहभूम के उत्तर में खूंटी, पूर्व में सरायकेला-खरसावां, दक्षिण में ओड़िशा का केउंझर, मयूरभंज और सुंदरगढ़ है और पश्चिम में सिमडेगा जिला है. यह जिला सारंडा जंगलों के लिए भी जाना जाता है. इन जंगलों में साल के वृक्ष भरे पड़े हैं. ये जंगल 700 पहाड़ों पर बसे हैं. साथ ही यहां हर प्रकार के जीव-जंतु भी हैं. यह झारखंड का सबसे पुराना जिला है. 1837 में कोल्हान पर ब्रिटिश विजय के बाद इस जिले को प्रमुखता मिली.

पश्चिमी सिंहभूम की राजनीतिः 2005 के बाद से अब तक नहीं जीती भाजपा

पश्चिमी सिंहभूम में वर्ष 2005 में भारतीय जनता पार्टी के पुतकर हेम्ब्रम विधायक थे. उसके बाद से अगले 2 विधानसभा चुनावों में भाजपा जीत नहीं पाई. 2009 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के दीपक बिरुवा विधायक बने. दीपक बिरुवा ने 2014 में भी अपनी विधायकी बचाए रखी. इन्होंने भारतीय जनता पार्टी के ज्योति भ्रमर तुबिद को 34,715 वोटों से हराया था.

Advertisement

पश्चिमी सिंहभूम की आबादी 15.02 लाख, पुरुषों से ज्यादा महिलाएं हैं यहां

2011 की जनगणना के अनुसार पश्चिमी सिंहभूम की आबादी 1,502,338 है. इनमें से 749,385 पुरुष और 752,953 महिलाएं. यह झारखंड का पहला जिला है जहां पुरुषों से ज्यादा महिलाएं हैं. जिले का औसत लिंगानुपात 1005 है. यानी प्रति हजार पुरुष पर 1005 महिलाएं हैं. शहरों में लिंगानुपात 951 जबकि ग्रामीण इलाकों का 1014 है. जिले की 14.5 फीसदी आबादी शहरी और 85.5 फीसदी ग्रामीण इलाकों में रहती है.

पश्चिमी सिंहभूम की जातिगत गणित

  • अनुसूचित जातिः 56,986
  • अनुसूचित जनजातिः 1,011,296
जानिए...पश्चिमी सिंहभूम में किस धर्म के कितने लोग रहते हैं
  • हिंदूः 423,937
  • मुस्लिमः 38,103
  • ईसाईः 87,587
  • सिखः 946
  • बौद्धः 389
  • जैनः 52
  • अन्य धर्मः 945,864
  • जिन्होंने धर्म नहीं बतायाः 5,460
पश्चिमी सिंहभूम में कामगारों की स्थिति

पश्चिमी सिंहभूम की कुल आबादी में से 694,863 लोग रोजगार से जुड़े हैं. इनमें से 49.4 फीसदी लोग या तो स्थाई रोजगार में हैं या साल में 6 महीने से ज्यादा कमाई करते हैं. 

  • मुख्य कामगारः 343,008
  • किसानः 137,464
  • कृषि मजदूरः 72,410
  • घरेलू उद्योगः 14,751
  • अन्य कामगारः 118,383
  • सीमांत कामगारः 351,855
  • जो काम नहीं करतेः 807,475
पश्चिमी सिंहभूम का पर्यटन, धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत

पश्चिमी सिंहभूम जिले में शहीद पार्क है. जो सरकार द्वारा विकसित किया गया है. इसके अलावा एक बिद्री नामक झील है. चेनपुर का शिव मंदिर विख्यात है. 40 किमी दूर हिरनी झरना पिकनिक के लिए प्रसिद्ध है. जोजोहतु अपने लौह अयस्क खदानों के लिए जाना जाता है. केरा में भगवती मंदिर है जहां हर साल तीन दिवसीय वार्षिक मेला लगता है. यहां बड़ी संख्या में भक्त आते हैं. लुपंगतु गांव सालभर वसंत मौसम के लिए जाना जाता है. रामतीर्थ है जहां कहते हैं कि वनवास के दौरान भगवान राम ने बैतरनी नदी को पार किया था. थोल्कोबाद में सारंडा क्वीन नाम का साल का पेड़ है. इसकी परिधि 25 फीट है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement