
झारखंड की सियासत में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर मंडरा रहे खतरे से उपजे राजनीतिक संकट के बीच सियासी तपिश बढ़ गई है. सीएम सोरेन रायपुर से रांची पहुंच गए हैं वह कुछ देर में राज्यपाल से मिल सकते हैं. इस बीच यूपीए का डेलिगेशन राज्यपाल से मिलने पहुंच भी चुका है. सोरेन ने कैबिनेट की बैठक भी बुलाई है और माना जा रहा है कि रिजॉर्ट पॉलिटिक्स के बीच वो सीएम पद से इस्तीफे का दांव भी चल सकते हैं. राजभवन पर प्रेशर बनाने के लिए सोरेन भी केजरीवाल मॉडल पर विधानसभा का विशेष सत्र बुला सकते हैं. इस तरह झारखंड में बीजेपी और सोरेन के बीच शह-मात का खेल जारी है.
कैबिनेट बैठक पर होगी नजर
हेमंत सोरेन रायपुर से रांची पहुंच गए हैं और कैबिनेट की बैठक के लिए सभी मंत्रियों को रांची बुला लिया गया है. जेएमएम कोटे के मंत्री जहां पहले से ही रांची में हैं तो कांग्रेस कोटे के 4 मंत्री जिन्हें रायपुर शिफ्ट किया गया था उन्हें भी बुधवार की शाम स्पेशल विमान से रांची वापस लौट आए हैं.
माना जा रहा है कि इस बैठक में सोरेन के अगुवाई में सरकार कुछ अहम फैसले ले सकती है. विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाने और सुखाड़ संबंधित प्रस्ताव पर कैबिनेट में फैसला लिए जा सकते हैं.
यूपीए डेलिगेशन राज्यपाल से मिलने पहुंचा
झारखंड सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल अब राज्यपाल से मिलने पहुंच चुका है. इसमें महुआ मांझी, विजय हंसदा, बंधु टिर्की, गीता कोड़ा शामिल हैं. सीएम सोरेन भी राज्यपाल से मिलने पहुंच सकते हैं. माना जा रहा है कि सीएम राज्यपाल से मिलकर कोई बड़ा सियासी दांव चल सकते हैं, जिस पर सभी की निगाहें लगी है.
दरअसल, हेमंत सोरेन के खिलाफ लाभ के पद के मामले में हाल ही में चुनाव आयोग ने अपनी सिफारिश राज्यपाल को भेजी थी. इसमें सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की सलाह दी गई थी. हालांकि, राज्यपाल रमेश बैस ने अभी तक इस मामले में कोई फैसला नहीं लिया है. ऐसे में माना जा रहा है कि ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले को देखते हुए हेमंत सोरेन ने ये नया दांव चला है. वे राज्यपाल रमेश बैस से मिलकर दोबारा सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं.
सोरेन की रिजार्ट पॉलिटिक्स
झारखंड में गहराते राजनीतिक संकट के बीच हेमंत सोरेन ने अपनी पार्टी जेएमएम और कांग्रेस के विधायकों को रांची से छत्तीसगढ़ के रायपुर लाया गया था और उसके बाद तीन बसों के जरिए फेयर रिजॉर्ट में शिफ्ट कर दिया. रिजॉर्ट के बाहर चप्पे-चप्पे पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी विधायकों से रिसॉर्ट में मुलाकात की थी, उन्हें कांग्रेस का क्राइसिस मैनेजमेंट का मास्टर माना जाता है. हेमंत सोरेन को सबसे सुरक्षित ठिकाना अपने राज्य से ज्यादा कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ लगा.
पिछले साल असम में विधानसभा चुनाव हुए थे और वहां विपक्ष के विधायकों की खरीद-फरोख्त शुरू हुई थी, तब वहां विपक्ष के लगभग एक दर्जन से ज्यादा विधायकों को रायपुर के इसी रिजॉर्ट में लाया गया था. हरियाणा में राज्यसभा चुनाव के दौरान भी विधायकों को खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए इसी रिजार्ट में रखा गया.
आपरेशन लोटस का खतरा
दरअसल, हेमंत सोरेन ने अपने और कांग्रेस विधायकों को रिजॉर्ट में रखने के लिए इसीलिए मजबूर होना पड़ा है, क्योंकि उन्हें आपरेशन लोट्स का खतरा दिख रही है. पिछले दिनों कांग्रेस के तीन विधायकों को कैश के साथ असम जाते हुए पश्चिम बंगाल में पकड़ा गया था. इसके बाद एक कांग्रेस विधायक ने दावा किया था कि उन्हें भी यह आफर दिया गया था और कहा गया था कि असम जाएंगे और वहां हेमंत बिस्वा सरमा से मिलेंगे. इसके बाद बीजेपी सरकार बनाने की कवायद होनी है. माना जा रहा है कि आपरेशन लोट्स के लिए कांग्रेस के पूर्व नेता जो फिलहाल बीजेपी में उन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसीलिए सबसे ज्यादा खतरा कांग्रेस विधायकों के टूटने का है. इसीलिए हेमंत सोरेन की विधायकी पर संकट के बादल गहराते ही कांग्रेस और जेएमएम दोनों ही पार्टी के विधायकों को रायपुर में शिफ्ट कर दिया गया है और अब उनकी वापसी तभी होगी जब यह खतरा पूरी तरह से टल जाएगा.
केजरीवाल की राह पर सोरेन
माना जा रहा है कि हेमंत सोरेन भी बीजेपी को मात देने और सियासी संकट से बाहर आने के लिए दिल्ली के सीएम केजरीवाल की तरह से का दांव चल सकते हैं. केजरीवाल ने पिछले दिनों बीजेपी पर आरोप लगाया था कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार को गिराने की साजिश की जा रही है. चार विधायकों ने बकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि उन्हें बीजेपी के लोग खरीदने की कोशिश कर रहे हैं. विधायकों ने दावा किया कि इसके लिए 20-20 करोड़ रुपए देने की पेशकश की गई थी. इसके बाद केजरीवाल ने विधानसभा में विश्वासमत प्रस्ताव लाकर बहुमत साबित कर अपनी एकजुटता दिखाई थी. केजरीवाल के इस दांव से बीजेपी सफाई देती दिखी थी और भ्रष्टाचार मामला भी पूरी तरह गायब हो गया.
हेमंत सोरेन भी इसी तरह का आरोप बीजेपी पर लगा रहे हैं और अब विधानसभा सत्र बुलाने का दांव चल सकते हैं. इस तरह विधानसभा सदन में वो एकजुटता का संदेश देने की रणनीति इस्तेमाल कर सकते हैसियासी संकट के बीच हेमंत सोरेन ने गुरुवार को कैबिनेट की बैठक बुलाई है. राजभवन पर दबाव बनाने के लिए सरकार विधानसभा का विशेष सत्र भी बुला सकती है. इस तरह से सियासी शह-मात के खेल में सोरेन भी बीजेपी पर बढ़त बनाना चाहते हैं.