Advertisement

झारखंड में शिक्षा व्यवस्था पर हर साल 11 हजार करोड़ खर्च, फिर भी 21 विद्यार्थियों के ही सफल होने का रिकॉर्ड

झारखंड में  शिक्षा व्यवस्था पर हर साल 11 हजार करोड़ से ज्यादा की राशि सरकार खर्च करती है, लेकिन हालात फिर भी बदतर हैं. 2016 से यहां आकांक्षा योजना शुरू की गई थी जिसके तहत मैट्रिक पास 40 बच्चों का हर साल चयन किया जाता है.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
सत्यजीत कुमार
  • ,
  • 09 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 12:27 AM IST
  • 21 विद्यार्थियों के ही सफल होने का रिकॉर्ड
  • हर साल 11 हजार करोड़ रुपये का शिक्षा व्यवस्था पर खर्च
  • मेडिकल, इंजीनियरिंग की परीक्षा के लिए छात्रों को किया जाता है तैयार

झारखंड में शिक्षा व्यवस्था पर हर साल 11 हजार करोड़ से ज्यादा की राशि सरकार खर्च करती है, लेकिन हालात फिर भी बदतर हैं. 2016 से यहां आकांक्षा योजना शुरू की गई थी जिसके तहत मैट्रिक पास 40 बच्चों का हर साल चयन किया जाता है. उनके रहने खाने और कोचिंग की व्यवस्था की जाती है और उन्हें मेडिकल समेत इंजीनियरिंग की परीक्षा के लिए तैयार किया जाता है. अब तक यानी 2020-21 तक सिर्फ 105 बच्चे इस परीक्षा में सफल हो पाए हैं. यानी हर वर्ष सफल होने वाले विद्यार्थियों का औसत 21 प्रतिशत है, यानी खर्च करोड़ों में और रिजल्ट में सिर्फ 21 विद्यार्थियों के ही सफल होने का रिकॉर्ड है.

Advertisement

दरअसल सरकारी स्कूलों में सर्व शिक्षा अभियान के तहत और राज्य सरकार की तरफ से विद्यार्थोयों को मुफ्त पोशाक, किताबों से लेकर जूते, भोजन और कंप्यूटर की शिक्षा सब मुफ्त दी जाती है. यानी पैसे पानी के तरह से बहाये जाते हैं. आखिर में 10वीं पास विद्यार्थियों को फिर से कोचिंग भी निशुल्क करवाई जाती है और परिणाम सामने है.

देखें आजतक LIVE TV

सवाल ये है कि 21 बच्चों को इंजीनियर और डॉक्टर बनाने में 11 हजार करोड़ रुपए कैसे खर्च हो जाते हैं. फिर भी प्राइवेट स्कूल में दाखिले के लिए होड़ मची रहती है और वहां प्रति बच्चे खर्च भी इतनी नहीं होती जितना सरकारी स्कूलों में प्रति बच्चे की जाती है.

सरकार ने अपने होनहार बच्चों को इंजीनियर और डॉक्टर बनाने के लिए साल 2016 में आकांक्षा योजना की शुरूआत की थी. इसके तहत जैक दसवीं पास छात्रों के लिए चयन परीक्षा लेती है. इनमें से 40 छात्रों को इंजीनियरिंग और 40 छात्रों को मेडिकल की पढ़ाई के लिए चयनित किया जाता है. इन छात्रों को मुफ्त में रहने-खाने और कोचिंग की सुविधा दी जाती है. 2016 में शुरू हुई आकांक्षा योजना के तहत जेईई के लिए 2016-18 में 40 में से 22, 2017-19 में 40 में से 23 और 2018-20 में 40 में से 23 छात्र सफल हुए.

Advertisement

इसी तरह नीट के लिए 2016-18 में 40 में से 4, 2017-19 में 30 और 2018-20 में 3 छात्र सफल हुए. यानी 2016 से 2020 तक कुल 105 छात्र सफल हुए. पांच वर्ष में 105 छात्र के सफल होने का मतलब है प्रति वर्ष औसतन 21 छात्र सफल हुए. जाहिर सी बात है कि सरकारी स्कूल व्यवस्था पर हर साल 11 हजार करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च करने के बाद भी महज 21 छात्र इंजीनियर और डॉक्टर के योग्य निकलते हैं. हालाकि, हेमंत सरकार ने 2020-21 के अपने पहले बजट में 80 के बजाए 240 बच्चों को इंजीनीयरिंग और मेडिकल की तैयारी के लिए आकांक्षा योजना से जोड़ने की व्यवस्था की है.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement